scorecardresearch
 

'आम आदमी' की सरकार के 5 कड़वे सच जो शायद ही बर्दाश्त कर पाएंगे CM केजरीवाल

चुनावों से पहले बड़े-बड़े वादे करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के वादों की पोल सिर्फ छह महीने के कार्यकाल में ही खुलती नजर आ रही है. महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पिछली सरकारों को घेरने वाले केजरीवाल अब अपने ही फैलाए जाल में फंसते दिख रहे हैं.

Advertisement
X
दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

चुनावों से पहले बड़े-बड़े वादे करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के वादों की पोल सिर्फ छह महीने के कार्यकाल में ही खुलती नजर आ रही है. महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पिछली सरकारों को घेरने वाले केजरीवाल अब अपने ही फैलाए जाल में फंसते दिख रहे हैं.

Advertisement

दरअसल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनता से वादे तो कर दिए लेकिन उन्हें पूरा करने में उनके पसीने छूट रहे हैं, फिर चाहे वह महंगाई का मुद्दा हो या भ्रष्टाचार का. ये हैं वो पांच मुद्दे जिनपर 'आम आदमी' की सरकार ने बदली अपनी चाल-

1. भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई का कड़वा सच
भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐक्शन के होर्डिंग्स पूरी दिल्ली में नजर आ रहे हैं. इन बड़े-बड़े होर्डिंग्स पर केजरीवाल सरकार दावा कर रही है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग शुरू हो चुकी है. एक RTI के जवाब में इस बात का खुलासा हुआ है कि होर्डिंग्स में केजरीवाल सरकार 35 अफसरों की गिरफ्तारी का दावा तो कर रही है लेकिन इसमें केवल एक अफसर ही है बाकी निचले स्तर के कर्मचारी हैं. दिल्ली ACB ने बताया कि केजरीवाल सरकार बनने के बाद एक जुलाई 2015 तक कुल 41 लोग गिरफ्तार किए गए हैं. इनमें तीन ऐसे भी लोग शामिल हैं, जिन पर 10 रुपये रिश्वत लेने का शक जताया गया है. यही नहीं, कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनका सरकार से कोई लेना-देना नहीं है. गिरफ्तार लोगों में से एक मात्र चीफ इंजीनियर को छोड़कर बाकी सारे आरोपी निचले स्तर के कर्मचारी हैं.

Advertisement

2. 400 करोड़ के घोटाले की रिपोर्ट दबाकर बैठी है AAP सरकार
शीला दीक्षित सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामलों में जरा सी भी नरमी न बरतने वादा करने वाले केजरीवाल शायद सत्ता सुख भोगने में इतने व्यस्त हो गए कि उन्हें वादों का ख्याल ही नहीं रहा. दिल्ली में कांग्रेस सरकार के दौरान वाटर टैंकर से जुड़े 400 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच के लिए केजरीवाल सरकार ने करीब एक महीने पहले कमेटी गठित की थी और उसे 10 दिन में रिपोर्ट पेश करने को कहा था. सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में कमेटी ने निर्धारित समय के अंदर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप भी दी लेकिन यह किसी को नहीं मालूम की रिपोर्ट अब किसके पास है और सरकार ने उस पर क्या एक्शन लिया है. केजरीवाल सरकार के कानून मंत्री कपिल मिश्रा ने भी रिपोर्ट के संबंध में कोई जानकारी होने से इनकार किया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या केजरीवाल सरकार रिपोर्ट को दबाना चाहती है?

3. प्याज की कीमतों पर जारी है डर्टी पॉलिटिक्स!
महंगाई का रोना रोने वाली दिल्ली सरकार ने जनता के हितों को नजरअंदाज करते हुए प्याज पर भी राजनीति शुरू कर दी. जब नैफेड दिल्ली सरकार को सस्ते रेट पर प्याज देने को राजी थी तो सरकार ने चिट्ठी लिखकर उनके सामने अपनी अजीबोगरीब शर्तें रख दीं. बीते शुक्रवार को दिल्ली सरकार ने नैफेड को एक चिट्ठी भेजी जिसमें लिखा कि दिल्ली सरकार नैफेड से प्याज खरीदने की इच्छा रखती है लेकिन उसकी दो शर्तें हैं. पहली शर्त ये कि प्याज की कीमत 19 रुपए ही होनी चाहिए उससे ज्यादा नहीं और इस 19 रुपए में भंडारण नुकसान जिसे स्टोरेज लॉस कहते हैं और परिवहन यानी ट्रांसपोर्टेशन का खर्च भी शामिल है और दूसरी ये कि प्याज की डिलिवरी भी सरकार को दिल्ली के आनंद विहार में चाहिए, न कि वो नासिक से प्याज लेगी. पोल खुलने पर सरकार और पार्टी के नेता पूरी तरह इस बात से मुकर गए और कहा कि उन्होंने कोई चिट्ठी नहीं लिखी, जबकि नैफेड के पास सभी पत्र मौजूद हैं.

Advertisement

4. वैट बढ़ाकर ढ़ीली कर दी आम आदमी की जेब
केजरीवाल सरकार ने आम आदमी की जेब में डाका डालते हुए बजट सत्र में वैट (VAT) संशोधन बिल पास किया. इस ऐक्ट के भाग 4 की चौथी अनुसूची में दर्जन भर से ज्यादा वस्तुओं पर वैट की दरों को अधिकतम 30 फीसदी करने की बात कही गयी है. केजरीवाल सरकार ने मनोरंजन-कर में भी 100 फीसदी की बढ़ोत्तरी कर दी, जिसके बाद दिल्ली में सिनेमा देखना महंगा हो गया. बात यहीं खत्म नहीं होती अब दिल्ली में दूसरे राज्यों से माल लेकर आने वाले मालवाहक वाहनों को 100 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक टैक्स के तौर पर चुकाने होंगे. यही नहीं, केजरीवाल सरकार ने पेट्रोल-डीजल की खरीद पर भी वैट बढ़ाकर आम आदमी पर बोझ बढ़ा दिया.

5. जब खुद बोले केजरीवाल- पूरे नहीं होंगे ये वादे
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सत्ता संभालने के तीसरे ही महीने में अपने वादों को पूरा न कर पाने का सच कबूल किया है. उन्होंने कहा कि सरकार पांच साल चलेगी लेकिन जनता से किए गए वादों की लिस्ट में 50 फीसदी वादे ही पूरे किए जा सकेंगे. केजरीवाल खुद बीजेपी और कांग्रेस पर ये आरोप लगाते रहे हैं कि ये दोनों पार्टियां जनता से वादे तो बहुत करती हैं लेकिन उन्हें पूरा नहीं करती हैं, लेकिन जब खुद पर बात आई तो केजरीवाल दो टूक ही बोल सके. चुनाव जीतने के लिए उन्होंने लुभावने वादों का पहाड़ तो खड़ा कर लिया लेकिन जब पूरा करने की नौबत आई तो पहले ही हाथ खड़े कर लिए.

Advertisement
Advertisement