दिल्ली मेट्रो का प्रशासन इमरजेंसी में यात्रियों के लिए जिस जज्बे के साथ खड़ा है वो काबिल-ए-तारीफ है. सफर के दौरान बीमार होने पर सैकड़ों यात्रियों को जिस तरह अस्पताल पहुंचाया गया है, उससे यमदूतों की नींद भी उड़ गई होगी.
दिल्ली मेट्रो के आंकड़ों की मानें तो नंवबर 2014 में मेट्रो में 86 यात्रियों के साथ इमरजेंसी हुई. लेकिन मेट्रो प्रशासन की फुर्ती से लोगों की जान बच गई. मेट्रो में कई यात्रियों को अचानक चेस्ट पेन हुआ तो कई बेहोश हो गए, लेकिन उन्हें पूरी संवेदनशीलता के साथ मेट्रो प्रशासन ने अस्पताल पहुंचाया और उन्हें उतनी गंभीर तकलीफ नहीं थी, उन्हें मेट्रो स्टेशनों पर ही फर्स्ट एड देने की व्यवस्था की गई. हालांकि पिछले महीने एक महिला यात्री की जान भी गई, लेकिन ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि वह खुद चलती ट्रेन के आगे कूद गई थी.
दिल्ली मेट्रो रेल
कॉरपोरेशन के अधिकारियों का कहना है कि उनका 'कैट्स' एंबुलेंस के साथ अच्छा तालमेल है. लगभग हर स्टेशन पर नजदीकी अस्पताल का नंबर और 'कैट्स'
एंबुलेंस सुविधा भी उपलब्ध रहती है. मेट्रो में बढ़ती यात्रियों की संख्या के साथ-साथ इमरजेंसी के केस भी बढ़ रहे हैं, इसलिए हर प्रकार की व्यवस्था की गई है.
नंवबर 2014 के आंकड़ों के मुताबिक दिलशाद गार्डन से रिठाला (लाइन-एक) रूट पर 21, हुड्डा सिटी सेंटर से जहांगीर पुरी (लाइन-दो) रूट पर 30, वैशाली-नोएडा सिटी सेंटर से द्वारका (लाइन-तीन व चार) रूट पर 24, मुंडका से इंद्रलोक (लाइन-पांच) रूट पर 6 और केंद्रीय सचिवालय से बदरपुर (लाइन-छह) रूट पर 5 इमरजेंसी के केस सामने आए और इन सबने समय पर मेडिकल सुविधाएं लेते हुए दिल्ली मेट्रो को धन्यवाद किया.