प्रगति मैदान में चल रहा अंतरराष्ट्रीय ट्रेड फेयर इस बार साइज में काफी छोटा कर दिया गया है. प्रगति मैदान के रेनोवेशन की वजह से हर राज्य को अलग से अपना पवेलियन न देकर हैंगर्स में जगह दी गई है. किसी-किसी हैंगर में 10 से 12 राज्यों तक की व्यवस्था की गई है. एक ही हैंगर में इतने राज्य का मतलब है हर ट्रेडर की जगह में कटौती, जिसका सीधा-सीधा असर उनके बिजनेस पर पड़ रहा है.
केरला के सुरेश कुमार पिछले 12 सालों से ट्रेड फेयर में अपना स्टॉल लगा रहे हैं और हर साल इन्हें 2 काउंटर मिलते थे लेकिन इस बार सिर्फ 64 फीट का एक काउंटर मिला है. जिसकी वजह सुरेश को काफी नुकसान हो रहा है.
नार्थ ईस्ट से बैंबू आर्ट की ट्रेड फेयर में हर साल काफी डिमांड रहती हैं इस बार भी नार्थ ईस्ट से सुंदर-सुंदर बैंबू आर्ट ट्रेड फेयर में अपने स्टॉल लगाकर कस्टमर का इंतजार कर रहे हैं लेकिन इस बार इन कलाकारों को कम जगह मिलने की वजह से बड़े समान को रखने और शोकेस करने में काफी परेशानी हो रही है. नार्थ ईस्ट के बैम्बू आर्टिस्ट पीयूष दास की माने तो कम जगह होने के कारण समान दुकान के बाहर तक शोकेस किया गया है लेकिन भीड़ बढ़ने पर दिक्कत होगी और बड़े समान को शोकेस करने की जगह नहीं मिल पाएगी. दुकानदारों की मानें तो जब तक समान दिखता नहीं तब तक बिकता नही हैं.
वेस्ट बंगाल की टंगिल और जसमदानी के कपड़ो की स्टाल फसुलरहमान सन् 1980 से ट्रेड फेयर में स्टॉल लगा रहे हैं लेकिन इस बार जगह कम होने की वजह से बहुत ज्यादा व्यापार की उम्मीद नही जता रहे हैं. हर बार एक हॉल के आधे हिस्से में टंगिल की साड़ियों, कपड़ों और चादरों की दुकानें होती थीं लेकिन इस बार इस छोटे से काउंटर से ही काम चलाना पड़ रहा है. कुल मिलाकर इस बार कम जगह और इंतेजामों की अदला-बदली की वजह से व्यापारियों के व्यापार की शुरुआत ठंडी है.