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ट्रांसपोर्टरों की मांग, रोजाना 3 लाख रुपये निकालने की इजाजत दे सरकार

गुड्स ट्रक ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन राजेंद्र कपूर का कहना है कि छोटे ट्रांस्पोर्टरों को एक ट्रक चलाने के लिए करीब एक ट्रक पर करीब 7000 से 8000 रुपये खर्च होते हैं. वहीं, लंबी दूरी में एक ट्रक पर करीब 50,000 रुपये खर्च होते हैं.

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कालेधन पर लगाम लगाने के लिए सरकार का बड़ा फैसला
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500 और 1000 के नोटो के बंद का असर ट्रांस्पोर्टरों पर भी पड़ा है. ट्रांसपोर्टरों की मांग है कि सरकार ने हर दिन करीब 3 लाख कैश निकालने की अनुमति दे, नहीं तो गुड्स ट्रक चल नही पाएंगे. ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन का कहना है कि वो हड़ताल नहीं करेंगे, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वो ट्रक नहीं चला पाएंगे.

दरअसल, सरकार ने पुराने 500 और 1000 के नोटो को 14 नवंबर तक का ही समय दिया है, जिसमें पेट्रोल पंपों पर पुराने नोटों को चला सकते हैं, लेकिन अगर 14 नवंबर के बाद भी इसमें रिलीफ नहीं दिया गया, तो फिर गुड्स ट्रक नहीं चल पाएंगे. अगर ऐसा हुआ तो दिल्ली समेत कई राज्यो में रोजमर्रा के खाद्य पदार्थो की कमी हो सकती है. गुड्स ट्रक ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन राजेंद्र कपूर का कहना है कि छोटे ट्रांस्पोर्टरों को एक ट्रक चलाने के लिए करीब एक ट्रक पर करीब 7000 से 8000 रुपये खर्च होते हैं. वहीं, लंबी दूरी में एक ट्रक पर करीब 50,000 रुपये खर्च होते हैं.

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उन्होंने बताया कि हर ट्रांसपोर्टर को 10 ट्रक चलाने के लिए करीब तीन लाख रुपये की रोजाना जरूरत होगी, जबकि सरकार की तरफ से सिर्फ 10,000 रुपये ही निकालने के निर्देश दिए हैं. ऐसे हालात में अगर ट्रांसपोर्टरों को छूट नहीं मिली, तो ट्रक खड़ी करने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा. इसलिए एसोसिएशन ने सरकार से अपील की है कि पुराने नोटो को चलाने की छूट की सीमा बढ़ाई जाए, वहीं, ट्रांसपोर्टरों को करीब तीन लाख निकालने की मंजूरी मिले.

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