बुधवार को दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच मीटिंग के दौरान यह तय हुआ की दिल्ली में अब ट्रकों की एंट्री नहीं होगी. ट्रकों को बॉर्डर पर रोकने की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस और एमसीडी की होगी. सिर्फ उन ट्रकों की एंट्री होगी जिसमें जरूरी चीजें हैं. जरूरी सामान से मतलब दूध, फल और सब्जी.
लेकिन, दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर तो नियमों को ताक में रखकर ट्रकों की एंट्री होती नजर आई. किसी ट्रक को चेक नहीं किया गया. हजारों की संख्या में नोएडा-दिल्ली बॉर्डर से ट्रकों ने दिल्ली में प्रवेश किया. डीएनडी पर जहां एमसीडी टोल नाका है. जहां हर गाड़ी को दिल्ली में प्रवेश करने के लिए टैक्स देना होता है. वहां पर सिर्फ टैक्स लेकर ट्रकों को दिल्ली में जाने दिया गया.
गौरतलब है कि बुधवार को जहरीले प्रदूषण को लेकर हुई मीटिंग में दिल्ली के मुख्यमंत्री से लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल और कई विशेषज्ञ मौजूद थे. मीटिंग में ये फैसला लिया गया कि दिल्ली में फिलहाल ट्रकों की एंट्री नहीं की जाएगी.
यहां यू-टर्न नहीं, नोएडा पुलिस ने क्यों नहीं रोका: दिल्ली पुलिस
डीएनडी पर जब कई ट्रक गुजर रहे थे कोई भी जांच करने वाला नहीं था. जांच करना तो छोड़िए पुलिस ने तो किसी ट्रक को नहीं रोका. जब पुलिस से 'आज तक' की टीम ने पूछा तो पुलिस का कहना था कि यहां यू-टर्न नहीं है. हम कैसे इन ट्रक को रोकें और कहां भेजें? अगर इन्हें डीएनडी पर रोक दिया गया तो यहां ट्रैफिक जाम लग जाएगा. इसीलिए इन्हें जाने दे रहे हैं. ये तो उत्तर प्रदेश पुलिस देखे, दिल्ली पुलिस यहां से कुछ नहीं कर सकती.
कुल मिलाकर यहां ट्रकों की चेकिंग का तो सवाल ही नहीं उठता. क्योंकि पुलिस के पास यहां से ट्रक को वापस भेजने का कोई तरीका नहीं है.
दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर भी रात भर हुआ नियमों का खुल कर उल्लंघन
दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर भी रात भर नियमों का खुल कर उल्लंघन हुआ. किसी ट्रक की कोई जांच नहीं हुई. एमसीडी टोल टैक्स देते हुए सभी ट्रकों की दिल्ली में एंट्री हुई. नियम के मुताबिक सिर्फ उन्हीं ट्रक की एंट्री होनी थी जिसमें जरूरत का सामान हो जैसे दूध, फल, और सब्जी. मगर यहां तो ऐसा लग रहा था जैसे किसी को कुछ पता ही नहीं है.
कुल मिलाकर नोएडा-दिल्ली बॉर्डर से लेकर गुरुग्राम-दिल्ली बॉर्डर पर रात भर ट्रक निकलते रहे. नियमों का उल्लंघन होता रहा. यानी सरकार का ये फॉर्मूला तो पूरी तरह फेल हो गया. ना एमसीडी कर्मचारियों ने ट्रकों को रोका और ना ही दिल्ली पुलिस ने. अब भी दिल्ली प्रदूषण की मार झेल रही है.