डोर स्टेप डिलीवरी पर एलजी की रोक के बाद दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच आरोप-प्रत्यारोप बढ़ता जा रहा है. भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि आखिर क्यों देश की राजधानी में ‘वन नेशन वन राशन स्कीम’’ लागू नहीं है.
उन्होंने कहा कि ‘नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट’ यानी जिंदा रहने के अधिकार के तहत केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राशन पहुंचाने का काम करती है. ये लोगों का अधिकार है. ये स्कीम दूर दराज के राज्य यूपी, बिहार, छत्तीगढ़, हिमाचल, अरुणाचल प्रदेश और पहाड़ी क्षेत्रों में जब लागू हो सकती है तब दिल्ली जैसे शहर में क्यों नहीं.
लेखी का कहना है कि 'मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल यदि केंद्र सरकार से हटकर कोई नई योजना लाना चाहते हैं तो इसके लिए किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी. इसके लिए उन्हें दिल्ली के बजट में प्रावधान करना होगा और अगर ऐसा वह नहीं करते हैं तो उन्हें केंद्र की योजना को उसके द्वारा निर्धारित नियम के तहत ही चलाना होगा.' मीनाक्षी लेखी का कहना है कि दिल्ली में करीब 2000 राशन की दुकानें हैं. उन्हें आधार से जोड़कर आधुनिक करने की बजाय केजरीवाल का इरादा बिचैलियों के माध्यम से दुकानों तक राशन पहुंचाना है. वे राशन वितरण में किसी तरह की पारदर्शिता नहीं चाहते हैं.
इसपर भी क्लिक करें- हल्ला बोल: घर-घर राशन योजना पर रार, केंद्र और Kejriwal सरकार क्यों आए आमने-सामने
वहीं, राशन डीलर संघ के जन सेक्रेटरी सौरभ का कहना है कि पहले ही इस मुद्दे को अदालत में चुनौती दी गई है. बता दें कि फूड सिक्योरिटी एक्ट और ‘प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना’ के तहत गरीबों को राशन मुहैया करवाया जा रहा है.
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता का कहना है, “केंद्र सरकार दिल्ली के 72 लाख कार्डधारकों के लिए हर महीने 126 करोड़ रुपये की सब्सिडी खर्च कर रही है और केजरीवाल सरकार जो हर साल प्रचार पर 1000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. वह दिल्ली की जनता के लिए 126 करोड़ खर्च क्यों नहीं कर सकती है? पिछले सात सालों में 70 लाख लोगों ने राशन कार्ड के लिए रजिस्ट्रेशन करवाये लेकिन आज तक उन्हें राशन कार्ड तो केजरीवाल सरकार दे नहीं पाई और आज घर-घर राशन वितरण करने की बात करते हैं.“