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उमर खालिद को झटका, दिल्ली दंगों के केस में जमानत याचिका खारिज

उमर खालिद को दिल्ली की अदालत से फिर झटका लगा है. दिल्ली दंगों से जुड़े केस में उनकी जमानत याचिका फिर खारिज हो गई है.

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उमर खालिद (फाइल फोटो)
उमर खालिद (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली में साल 2020 में दंगे हुए थे
  • उमर खालिद उन दंगों की साजिश रचने वाले आरोपियों में शामिल हैं
  • उमर खालिद को करीब डेढ़ साल पहले गिरफ्तार किया गया था

उमर खालिद (Umar khalid) को दिल्ली की अदालत से फिर झटका लगा है. दिल्ली दंगों से जुड़े केस में उनकी जमानत याचिका फिर खारिज हो गई है. दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को जमानत देने से इनकार किया. उमर खालिद के खिलाफ दंगे की साजिश और UAPA के तहत मामला दर्ज है.

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उमर खालिद की जमानत याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई थी, फिर फैसले को गुरुवार यानी आज तक के लिए टाल दिया गया था. अब कोर्ट ने इसपर आदेश सुनाया. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत इस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे.

उमर खालिद पर क्या हैं आरोप?

खालिद और कई अन्य लोगों पर फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के 'मास्टरमाइंड' होने के मामले में आतंकवाद विरोधी कानून-यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है. आरोप है कि खालिद की मंशा थी कि देश में दंगे कराकर अशांति फैलाई जाए.

दिल्ली पुलिस ने कहा था- लोगों को बनाया गया चारा

बहस के दौरान, आरोपी ने अदालत से कहा था कि अभियोजन पक्ष के पास उसके खिलाफ अपना मामला साबित करने के लिए सबूत नहीं हैं. वहीं अभियोजन पक्ष की तरफ से कहा गया था कि CAA प्रदर्शन के नाम पर लोगों को चारे के रूप में इस्तेमाल किया था.

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विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने जज अमिताभ रावत के सामने कहा था, 'सब प्रदर्शन स्थल ऐसे जगह बनाए गए थे जहां बहुत गरीब लोग रहते हैं और जनसंख्या घनत्व ज्यादा है. यहां लोगों को चारे की तरह इस्तेमाल किया गया.'

कोर्ट में Delhi Protest Support group (DPSG) नाम के वॉट्सऐप ग्रुप का जिक्र किया गया था. कहा गया कि उमर खालिद उसमें 5 दिसंबर से शामिल थे और बाकी आरोपियों के साथ दंगों की प्लानिंग कर रहे थे. ताहिर हुसैन (AAP पार्षद) संग उनकी मीटिंग पर भी सवाल खड़े किए गए थे. दिल्ली पुलिस ने 2016 वाले JNU राजद्रोह के मामले का भी जिक्र किया था. कहा गया था कि खालिद ने 2016 से सीखा था और उन्हें वह दिल्ली दंगों के मामले में नहीं दोहरा रहे थे. वहीं बहस में खालिद के वकील ने कहा था कि DPSG में खालिद का कोई खास रोल नहीं था और उन्होंने उसमें सिर्फ पांच मेसेज भेजे थे.

इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हो गए थे. CAA और NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान तब हिंसा भड़क गई थी.

 

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