दिल्ली की शान माने जाने वाले कनॉट प्लेस में इन दिनों जगह-जगह शर्म की तस्वीर ज्यादा दिखाई देती हैं. शर्म इसलिए नहीं कि कनॉट प्लेस अब भी टूटा-फूटा है, बल्कि इसलिए कि देश की राजधानी का सबसे वीआईपी इलाका होने के बावजूद यहां चल रहा सौंदर्यीकरण का काम न जाने कितनी डेडलाइन को मुंह चिढ़ा चुका है. सरकार ने एक बार फिर नई डेडलाइन दे रही है.
आलम ये है कि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित जो कि कनॉट प्लेस का काम देखने वाली एजेंसी एनडीएमसी की मुखिया भी हैं, जब कनॉट प्लेस गईं तो मीडिया और कैमरों को बिना बताए. मगर हालत तो जैसी हमने दिखाई उन्हें भी तो वही दिखना था. कहीं तार लटके दिखे, तो कहीं खुदाई चली रही है. और तो और बागवानी और इनर सर्किल का काम भी अधूरा ही दिखा. लिहाजा इसकी देखरेख और मरम्मत करने वाली एजेंसियों की जमकर क्लास भी लगी. अब शीला चाहे डेडलाइन बढ़ा लें, चाहे सफाई दें, लेकिन कनॉट प्लेस ने उन्हें एक बार फिर मुंह तो चिढ़ा ही दिया है.