उच्चतम न्यायालय ने 1997 में उपहार सिनेमाघर में हुए अग्निकांड के लिए रियल इस्टेट के प्रमुख कारोबारी सुशील अंसल और गोपाल अंसल को दोषी ठहराया.
न्यायालय ने कहा कि सिनेमा जाने वालों की सुरक्षा की बजाए उनकी चिंता धन कमाने के बारे में ज्यादा थी. इस अग्निकांड में 59 दर्शक मारे गए थे.न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्र की दो सदस्यीय पीठ ने अंसल बंधुओं को दोषी ठहराया. लेकिन दोनों न्यायाधीशों में अंसल बंधुओं की सजा के बारे में असहमति होने के कारण इसे तीन न्यायाधीशों की पीठ के पास अंतिम निर्णय के लिये भेज दिया गया.
न्यायमूर्ति ठाकुर ने सुशील और गोपाल अंसल को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दी गई एक साल की सजा का निर्णय बरकरार रखा जबकि न्यायमूर्ति मिश्रा ने सुशील अंसल की उम्र को देखते हुए जेल में बिताई गई अवधि तक उनकी सजा सीमित करने के साथ ही गोपाल अंसल की सजा बढ़ाकर दो साल कर दी.
न्यायमूर्ति मिश्रा ने अंसल बंधुओं पर एक अरब रुपए का जुर्माना भी लगाया, जिसका इस्तेमाल अपघात केंद्र और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के निर्माण में किया जाएगा. न्यायाधीशों ने कहा कि अंसल बंधुओं में कानूनों के प्रति कोई सम्मान नहीं है, जिसकी वजह से ही यह हादसा हुआ. क्योंकि उनकी दिलचस्पी लोगों की सुरक्षा की बजाए अधिक धन कमाने में थी.
न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 19 दिसंबर, 2008 के फैसले के खिलाफ सीबीआई, उपहार अग्निकांड के पीड़ितों के संगठन और अंसल बंधुओं की अलग अलग अपीलों पर यह फैसला सुनाया. अंसल बंधुओं ने उन्हें दोषी ठहराने के निर्णय को चुनौती देते हुए कहा था कि इस हादसे के लिए किसी भी तरह से वे जिम्मेदार नहीं हैं क्योंकि यह आग दिल्ली बिजली बोर्ड के ट्रांसफार्मर के कारण लगी थी.
सीबीआई ने अंसल बंधुओं की सजा कम करने के निर्णय को चुनौती दी थी. निचली अदालत ने दोनों भाइयों को दो दो साल की सजा सुनाई थी. उपहार अग्निकांड पीड़ितों के संगठन ने दोनों की सजा बढ़ाने के लिये अपील दायर की थी.