सुप्रीम कोर्ट ने 1997 के उपहार अग्निकांड मामले में सीबीआई की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें अतिरिक्त 15 मिनट सुनवाई करने का अनुरोध किया गया था. सीबीआई इन 15 मिनटों में सजा के बारे में छूट गए बिंदुओं पर जिरह करना चाहती थी.
जज बोले, हम पहले ही आदेश दे चुके हैं
अपनी अपील में सीबीआई ने कहा था कि इस मामले में दोषी ठहराए गए और रियल एस्टेट के दिग्गज सुशील और गोपाल अंसल 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना भरकर तीन महीने में ही आगे
की कैद से बच निकलने में कामयाब रहे. न्यायाधीश एआर दवे की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, ‘यह उचित नहीं होगा. हम पहले ही आदेश जारी कर चुके हैं.’
साल्वे ने मांगे थे 15 मिनट
इस मामले में सीबीआई का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने मामले से जुड़े कुछ बिंदुओं पर और दलीलें रखने के लिए 15 मिनट का समय मांगा था. साल्वे ने कहा, ‘मैं वर्ष 2000
से जनहित की खातिर इस मामले की वकालत कर रहा हूं. कृपया हमें आज दोपहर तीन बजकर 45 मिनट से चार बजे तक 15 मिनट का समय दें. यदि अदालत सहमत न हो पाए तो हमें
भले ही बाहर कर दिया जाए.’
सजा से बच निकले अंसल बंधु
इस पीठ में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल भी थे. पीठ ने अपील स्वीकार नहीं की और जांच एजेंसी से कहा कि वह छूटे हुए सभी बिंदुओं के साथ एक पुनरीक्षण याचिका दायर करे. अंसल बंधु 18 साल पुराने उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में जेल की सजा से बुधवार को बच निकले थे. इस अग्निकांड में 59 लोग मारे गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना भरने के लिए कहा और उनकी सजा की अवधि को उनके द्वारा काटी जा चुकी कैद की अवधि तक ही सीमित कर दिया.
59 लोगों की हुई थी मौत
हादसे के तत्काल बाद सुशील पांच माह से ज्यादा समय तक कैद में रह चुके हैं और गोपाल चार माह से ज्यादा समय तक जेल में रहे थे. दक्षिणी दिल्ली के उपहार सिनेमाघर में 13 जून 1997 को बॉलीवुड की फिल्म ‘बॉर्डर’ के शो के दौरान आग लग गई थी. इसकी बालकनी में फंसे 59 लोग दम घुटने पर मारे गए थे. इसी दौरान भगदड़ में 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.