दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र में रामजस कॉलेज के मुद्दे पर बवाल मच गया. मंगलवार को विधानसभा में रामजस मामले पर विशेष चर्चा रखी गई और इस दौरान पक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच खूब कहासुनी हुई. विधानसभा में AAP विधायक अलका लांबा ने गुरमेहर के उस वीडियो को दिखाने की मांग की जिसमें वो अलग-अलग प्लेकार्ड दिखा रही थीं, इस पर विजेंद्र गुप्ता की आपत्ति के बाद हंगामा हुआ, लेकिन स्पीकर रामनिवास गोयल ने अलका को वीडियो दिखाने करने की अनुमति दे दी.
अलका लांबा के मुताबिक रामजस कॉलेज प्रसाशन ने छात्रों को जिस विषय पर बोलने के लिए बुलाया उस पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों को आपत्ति थी. विरोध के बाद हुए हमले में न सिर्फ छात्र बल्कि दिल्ली विश्विद्यालय के प्रोफेसर तक बुरी तरह से घायल हो गए.
आम आदमी पार्टी की विधायक अल्का लांबा ने कहा कि ये सब एक साजिश के तहत किया गया. इसी तरह हैदराबाद में रोहित वेमुला को निशाना बनाया गया जेएनयू में कन्हैया को टारगेट किया गया था. अलका लांबा ने कहा कि गुरमेहर का कसूर क्या था, उसने सिर्फ इतना ही कहा था कि जो पथराव हुआ वह गलत था. जिन्होंने यह पथराव होते देखा उन्होंने पहले सोशल मीडिया पर एक प्लेकार्ड के जरिये इसका विरोध किया. उसके बाद गुरमेहर का एक साल पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर आया, जिसमें शांति की अपील करते हुए प्लेकार्ड को दिखाया गया. लेकिन कुछ फर्जी राष्ट्रवादी गुरमेहर को उसके बाद धमकियां देने लगे.
विधानसभा में अलका लांबा ने कहा कि बापू का देश पूरे विश्व में शांति चाहता है. पीएम नरेंद्र मोदी जी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को क्यों बुलाया. हम लोगों को लगा कि पीएम शांति चाहते हैं लेकिन उसके बाद युद्ध हुआ. बावजूद इसके हमने बीजेपी वालों को देशद्रोही नहीं कहा, उन्हें कोई धमकियां नहीं दीं. अल्का लांबा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पाकिस्तान के पीएम के जन्मदिन पर पहुंचते हैं, शाल देते हैं लेकिन फिर पठानकोट में हमला हुआ. हमने फिर भी प्रधानमंत्री को कुछ नहीं कहा और ना कोई धमकी दी.
दिल्ली सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि बीजेपी छद्म राष्ट्रवाद का सहारा लेती है, हम रामजस कॉलेज में हुई गुंडागर्दी के लिए एबीवीपी को जिम्मेदार मानते हैं. अगर कोई राष्ट्रविरोधी नारे लगाता है तो उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया. कपिल मिश्रा ने तो यहां तक कह दिया कि भारत विरोधी नारे लगाने वालों की जुबान काटकर फेंक देनी चाहिए. विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि उमर खालिद को बुलाने का मामला रामजस कॉलेज और डीयू प्रशासन के बीच का था, लेकिन जेएनयू की छात्रों ने रामजस कॉलेज में जाकर नारेबाजी की और इसके बाद ही विवाद शुरू हो गया.