संघ लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित सिविल सर्विसेज परीक्षा के परीक्षार्थियों का CSAT को लेकर प्रदर्शन जारी है. मंगलवार को इन छात्रों ने मुखर्जी नगर से लेकर राजघाट तक एक मार्च निकाला. मार्च में कई छात्र शामिल हुए. बता दें कि परीक्षार्थी पिछले 4 साल से अपनी मांगों को लेकर आवाज उठा रहे हैं. छात्रों की मांग है कि उन्हें सिविल सर्विस परीक्षा 2019, 2020, 2021 में एक्स्ट्रा अटेंप्ट दिए जाएं. CSAT पैटर्न लागू होने की वजह से ये छात्र 28 दिसंबर से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.
यूपीएससी के इन छात्रों की Compensatory Attempts की मांग पहली बार नहीं है. ये छात्र पिछले 4 सालों से इस मांग को लेकर कई बार विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन छात्रों का कहना है कि हर बार सरकार सिर्फ एक आश्वासन देकर छोड़ देती है.
सरकार की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई ने होने के कारण यह छात्र मजबूरन सड़कों पर हैं. इनमें से कई छात्र ऐसे हैं जो पिछले काफी समय से लगातार अनशन भी कर रहे हैं.
विरोध करने वाले छात्रों का यह भी आरोप है कि दिल्ली पुलिस उनको कई साथियों को हिरासत में भी ले चुकी है. अपनी मांगों को लेकर कि यह छात्र गृह मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के घर के बाहर भी विरोध-प्रदर्शन कर चुके हैं. शीतकालीन सत्र में भी जब इन छात्रों की मांग पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो इन छात्रों ने मुखर्जीनगर से लेकर राजघाट तक एक मार्च निकाला.
बता दें कि अपनी मांग को लेकर छात्र दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात कर चुके हैं. सीएम केजरीवाल ने भी इनको साथ देने का भरोसा दिया था. इससे पहले इन छात्रों ने नए साल की पहली रात भी अपनी मांगों को लेकर मुखर्जी नगर में प्रदर्शन किया था. छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने उनके साथ बदतमीजी की और प्रदर्शनकारियों पर ठंडा पानी फेंका गया. कई छात्रों को हिरासत में भी लिया गया.
यह है पूरा मामला
यूपीएससी परीक्षार्थी और सीसैट मामले में कई सालों से संघर्षरत सौमिक जाना ने बताया कि यूपीएससी सिविल सर्विसेज में साल 2011 में एक पेपर शुरू किया गया था, जिसे सीसैट नाम दिया गया था. ये पेपर 2014 तक मेरिट में काउंट होता था. यानी इसमें प्राप्त अंकों को मेरिट में भी शामिल किया गया था. यह 200 नंबर का पेपर था.
दरअसल, उस दौरान ही एग्जाम पैटर्न में हुए बदलाव पर बनाई गई 'निगवेकर कमेटी' ने भी कहा था कि इस पेपर का फायदा अंग्रेजी- विज्ञान परीक्षार्थियों को होगा. अन्य परीक्षार्थियों को इससे दिक्कत होगी. हालांकि 2015 में इस पेपर को मेरिट काउंट से हटा दिया गया और उसके इसे क्वालीफाइंग पेपर घोषित कर दिया गया.
क्या है छात्रों की मांग?
छात्रों की मांग है कि अगर इस पेपर को अब क्वालीफाइंग कर दिया गया है तो 2011 से 2014 के उम्मीदवारों के अटेंप्ट खराब गए. 4 साल तक यह जरूरी रहा और फिर क्वालीफाइंग कर दिया गया. छात्रों की मांग है कि उन्हें एक बार फिर से मौका दिया जाए.