बीजेपी शासित पूर्वी दिल्ली का नगर निगम शिक्षा को कितनी गंभीरता से लेता है, इसका अंदाजा आपको एक छोटे से आंकड़े से मिल जाएगा. पूर्वी दिल्ली नगर निगम में 365 विशेष शिक्षकों की आवश्यकता है, जिसमें से 332 पद खाली हैं. इसका मतलब है कि 91 फीसदी शिक्षकों की कमी है.
विशेष शिक्षक वो होते हैं, जो विशेष या दिव्यांग बच्चों की जरूरतों को समझ कर उन्हें शिक्षा देते हैं. ये वो काम है जो सामान्य शिक्षक नहीं कर सकते. ये आधिकारिक जानकारी मिनी शर्मा ने दी है, जो ईडीएमसी में शिक्षा विभाग की डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं.
चौंकाने वाले आंकड़े सिर्फ विशेष शिक्षकों तक ही सीमित हों ऐसा नहीं है. पूर्वी दिल्ली नगर निगम में कुल 323 नर्सरी टीचरों की पोस्ट है, जिसमें से करीब एक तिहाई यानी 125 पद खाली हैं. वहीं प्राइमरी स्कूल के लिए शिक्षकों की 5335 पोस्ट मंजूर की गई हैं, जिसमें से 1653 पद खाली हैं. ये कुल जरूरत की एक तिहाई से भी ज्यादा है.
बीजेपी ये दावा करती है कि पिछले दस वर्षों में एमसीडी की कार्यप्रणाली में उसने अभूतपूर्व सुधार किए हैं. जाहिर है, आंकड़े सच्चाई बयान करते हैं. मिनी शर्मा ने ये आंकड़े सोशल ज्यूरिस्ट की जनहित याचिका पर दिए हैं. सोशल ज्यूरिस्ट के कर्ताधर्ता और सीनियर एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने कहा कि इन आंकड़ों से जाहिर होता है कि ईडीएमसी और ये राजनीतिक पार्टियां शिक्षा को कितनी गंभीरता से लेती हैं.