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पतंग के धागे पर लिख दिया 'वंदे मातरम', उंगलीभर की किताब में लिखीं पॉलिटिकल पार्टी की सारी योजनाएं

सरसों के दाने पर 'आई लव माय इंडिया' लिखने वाले अतुल कश्यप ने अपने पैशन से एक बार फिर नया कारनामा किया है. अतुल ने इस बार पतंग के धागे पर वंदे मातरम लिखा है. वहीं नाखून के बराबर 150 पेज की एक किताब भी लिख दी, जिसमें  हनुमान चालीसा लिखा है. इसके अलावा अंगुलीभर की एक किताब में राजनीतिक दल की पूरी योजनाएं दर्ज कर दी हैं.

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पतंग के धागे पर लिख दिया वंदे मातरम, उंगलीभर की किताब में लिखीं पॉलीटिकल पार्टी की पूरी योजनाएं.
पतंग के धागे पर लिख दिया वंदे मातरम, उंगलीभर की किताब में लिखीं पॉलीटिकल पार्टी की पूरी योजनाएं.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोविड में गई नौकरी तो हुनर को दी नई उड़ान
  • दिल्ली के एक थ्रेड आर्टिस्ट की कहानी

इसे हुनर की बारीकी कहिए या बारीकी का हुनर... अतुल कश्यप दोनों ही बातों पर एकदम फिट बैठते हैं. 32 साल के अतुल कश्यप ने वो तमाम सारी चीजें अपने हाथों से बनाकर लिख दीं, जिनको पढ़ने में आपकी आंखों को बहुत मशक्कत करनी पड़ेगी.. कसरत करनी पड़ेगी.. कभी पतंग के धागे पर वंदे मातरम लिख दिया तो कभी अरविंद केजरीवाल का ऐसा स्केच बनाया, जो आपको देखने में स्केच सा लगता हो, लेकिन इस तस्वीर को ध्यान से देखेंगे तो इसमें अरविंद केजरीवाल की पूरी जीवनी लिखी हुई है. अतुल कश्यप ऐसे ही बारीक लेखन के लिए सालों से मेहनत करते आ रहे हैं. वह कहते हैं कि उन्होंने आज तक इस काम को अपना पेशा नहीं बनाया, लेकिन वह इसे अपना पैशन जरूर मानते हैं.

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पतंग के धागे पर लिख दिया वंदे मातरम, उंगलीभर की किताब में लिखीं पॉलीटिकल पार्टी की पूरी योजनाएं.

सरसों के दाने पर लिख चुके हैं 'आई लव माय इंडिया'

32 साल के अतुल कश्यप बीएससी में ग्रेजुएट हैं. उन्होंने कभी भी इसके लिए कोई ट्रेनिंग नहीं ली. इसके पहले वो एक मोबाइल कंपनी में काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन में जॉब चली गई. इसके बाद कई महीने तक इन्हें खाली बैठना पड़ा, लेकिन यह लॉकडाउन उनके लिए किसी अवसर से कम नहीं रहा. अतुल कहते हैं कि उसी वक्त उन्होंने अपने पैशन को फॉलो करना शुरू किया और दोबारा से अपने हुनर को निखारा. इसके पहले अतुल ने 2005 में पहली बार एक सरसों के दाने पर 'आई लव माय इंडिया' लिखा था.

पतंग के धागे पर लिख दिया वंदे मातरम, उंगलीभर की किताब में लिखीं पॉलीटिकल पार्टी की पूरी योजनाएं.

सुई के छेद में डाल दिए 80 से ज्यादा धागे

अतुल कहते हैं कि इस काम में 6 महीने से ज्यादा का वक्त लग गया था, लेकिन अब अपने हुनर को ऐसा संवारा कि अब मुश्किल से मुश्किल काम में भी उन्हें 25 मिनट से ज्यादा नहीं लगते. अतुल पतंग के महीन धागे पर भी एक पूरा राष्ट्रगीत लिखने का हुनर रखते हैं. अतुल ने नाखून के बराबर बुक बनाई. 150 पेज की इस बुक में उन्होंने हनुमान चालीसा लिखी. दुनिया का सबसे छोटा लकड़ी का लूडो बनाया. बारीक सा दिखने वाला टेबल टेनिस बनाया. सुई के एक छोटे से छेद में 80 से ज्यादा धागे डाल दिए.

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गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने की ख्वाहिश

अतुल का सपना है कि वह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाएं, लेकिन वह कहते हैं कि इसके लिए फीस बहुत ज्यादा है, जो वह अफोर्ड नहीं कर सकते. अतुल कहते हैं कि उन्होंने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों से मदद के लिए अपील भी, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली. फिलहाल कहीं से मदद मिले न मिले, अतुल अपने जज्बे को कायम किए हुए हैं. लगातार अपने शौक और जुनून को पूरा करने में लगे हैं. वह जानते हैं कि जब तक सरकारी नजर उनके हुनर पर नहीं पड़ेगी, तब तक वह आने वाली पीढ़ी को प्रेरित नहीं कर सकते.

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