नोटबंदी के 15 दिन बाद भी आम लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली की सब्जी मंडी के व्यापारियों के काम में भी जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है. दुकानदारों का कहना है कि बड़े नोट बंद होने के कारण बिक्री नहीं हो रही है, पुराना माल अभी तक पड़ा है और किसान नई फसल लेकर आ रहे है.
नोटबंदी से किसान भी परेशान है क्योंकि किसानों से दुकानदार बेहद कम दामों में सब्जियां खरीद रहे है, जिससे दामों में 30 से 50 प्रतिशत की गिरावट हुई है. गाजीपुर की थोकमंडी में सब्जी के दामों में जबरदस्त गिरावट हुई है, कुछ दिन पहले जो आलू 15 रुपये किलो था वह कम होकर 4 रुपये प्रति किलों तक पहुंच गया है, गोभी का रेट भी 10 रुपये प्रति किलो से गिरकर 3 रुपये तक पहुंच गए है.
थोकमंडी में तो दामों में गिरावट है लेकिन इसका लाभ आम लोगों को नहीं मिल रहा है, फुटकर मंडी में सब्जी का रेट जस का तस है. थोक मंडी में 4 रुपये किलो के रेट से बिकने वाला आलू फुटकर में 20 रुपये के रेट से बिक रहा है और वहीं थोक में टमाटर जहां 10 रुपये में मिल रहा है वही टमाटर यहां 20 रुपये में मिल रहा है.
हैरानी की बात है कि ग्राहकों के ना होने के बावजूद फुटकर मंडियां सब्जी के दाम कम नहीं कर रही है.