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वर्चुअल बनाम रियलिटी: दिल्ली कोरोना ऐप मरीजों के साथ छलावा

इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम ने जिन प्राइवेट अस्पतालों की जांच की वहां न आइसोलेशन वार्ड दिखे, न बेड, न उपकरण, यहां तक कि कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए स्टाफ भी तैयार नजर नहीं आया.

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सांकेतिक तस्वीर (Courtesy- PTI)
सांकेतिक तस्वीर (Courtesy- PTI)

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  • प्राइवेट अस्पतालों में न बेड, न वार्ड, न वेंटीलेटर्स
  • अस्पतालों में इलाज के लिए स्टाफ भी तैयार नहीं
देश की राजधानी में अस्पतालों में उपलब्ध बेड्स और दिल्ली सरकार के कोरोना ऐप में दिखाई गई बेड्स की संख्या में बड़ा गैप दिखाने के बाद इंडिया टुडे ने और गहराई से जाकर जांच की तो पाया कि प्राइवेट अस्पताल जो कोविड इलाज के लिए निर्धारित किए गए हैं, वहां महामारी से निपटने के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर ही मौजूद नहीं हैं.

इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (SIT) ने जिन प्राइवेट अस्पतालों की जांच की वहां न आइसोलेशन वार्ड दिखे, न बेड, न उपकरण, यहां तक कि कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए स्टाफ भी तैयार नजर नहीं आया.

न बेड, न वार्ड

दिल्ली के वसुंधरा एन्क्लेव में धर्मशाला नारायणा अस्पताल की मैनेजर ममता से SIT के एक अंडरकवर रिपोर्टर ने कोविड मरीज के तीमारदार के तौर पर बात की.

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ममता- ‘हमारे पास बेड्स नहीं है. सर.’

रिपोर्टर- ‘लेकिन ये (ऐप) 30 दिखा रहा है, मैडम.’

ममता- ‘सर, ऐप में 30 दिख रहे हैं, लेकिन हमारे पास बेड्स तैयार नहीं हैं. हमने सरकार को सूचित किया है कि हमारे पास बेड्स नहीं हैं. हमारे पास वार्ड्स नहीं हैं. हमारे पास सिर्फ 10 बेड्स और 11 मरीज हैं.’

ममता ने कबूल किया- ‘पहली बात बेड्स ही नहीं हैं. उन्होंने फिर भी गिनती दिखा दी. अनुपात (कोरोना वायरस मरीजों के बेड्स का) तभी उपलब्ध कराया जा सकता है अगर वो फिजीकली उपलब्ध हों.’

इलाज को तैयार नहीं स्टाफ

पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार में जीवन अनमोल अस्पताल की मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. नीरा सोढ़ी ने कबूल किया कि उनका स्टाफ कोविड मरीजों को अस्पताल में लेने के लिए तैयार नहीं है.

रिपोर्टर: ‘क्या आप एडमिशन ले रही हैं?’

डॉ. सोढ़ी- ‘फिलहाल नहीं, मेरे पास स्टाफ नहीं है.’

डॉ. सोढ़ी ने साफ किया कि ‘एडमिशन तभी हो सकते हैं जब आपके पास स्टाफ हो, हमारे पास अभी तक स्टाफ नहीं है.’

डॉ. सोढ़ी ने कहा, ‘सरकार ने हमसे ऐसा करने के लिए कहा. हम सहमत हो गए. हमने जगह उपलब्ध कराई. लेकिन मेरा स्टाफ मना कर रहा है. अगर उनसे कहा जाए तो वो जॉब छोड़ देंगे. मैं क्या कर सकती हूं.’

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क्रिटिकल केयर इक्विपमेंट मौजूद नहीं

दिल्ली के यमुना विहार में पंचशील अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद डॉ. रियाज ने माना कि उनके यहां वेंटिलेटर्स नहीं हैं, जिनकी गंभीर मरीजों को जरूरत पड़ सकती है.

डॉ रियाज- ‘सर, हम कोविड मरीज नहीं भर्ती कर रहे. उन्हें वेंटिलेटर्स की जरूरत होगी लेकिन हमारे पास वेटिलेटर्स की सुविधा नहीं है.’

ऐप पर बेतरतीब लिस्टिंग

दिल्ली के सबसे पुराने प्राइवेट अस्पताल ‘सेंट स्टीफंस’ में रजिस्ट्रेशन की ड्यूटी संभाल रहे शख्स ने कबूल किया कि अस्पताल में कोविड मरीजों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद नहीं है.

रिपोर्टर- ‘दिल्ली सरकार का ऐप दिखा रहा है कि यह (सेंट स्टीफंस) भरा हुआ नहीं है.’

अस्पताल स्टाफ- ‘अगर पैसा आता है तो हम क्यों मना करेंगे? लेकिन आप एक हफ्ते में बेड तैयार नहीं कर सकते. इतने बेड उनके (थोड़े) टाइम फ्रेम में नहीं बन सकते. चीजों को अलग करना होगा. सब कुछ अलग करना होगा. उन्होंने सिर्फ़ क्षमता का जिक्र किया है जो हम बना सकते हैं.’

प्राइवेट ट्रीटमेंट लग्जरी

इंडिया टुडे की जांच में यह भी पाया गया कि कुछ प्राइवेट अस्पताल जो कोविड मरीजों के इलाज के लिए अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद है, वहां इलाज कराना लग्जरी के समान है. जांच में सामने आया कि सिविल लाइंस में मुख्यमंत्री आवास के पास संत परमानंद अस्पताल कोई कैशलेस बीमा स्वीकार नहीं किया जाता.

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इस फैसिलिटी में एक कैशियर और एक डॉक्टर ने ने कोविड मरीज के रूटीन इलाज के लिए 5 लाख रुपए और ICU इलाज के लिए 7 लाख रुपए अपफ्रंट खर्च बताया.

प्रतिक्रियाएं

दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने इंडिया टुडे की जांच का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य सरकार शहर में कोविड देखभाल को बेहतर करने की दिशा में ‘क्रिटिकल फीडबैक’ के लिए खुली है.

हालांकि आप नेता ने ये भी जोर देकर कहा कि केजरीवाल प्रशासन ने महामारी से निपटने के लिए कई महीनों तक टेस्टिंग बढ़ाने और हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने के लिए ‘अथक काम’ किया.

कुछ निजी अस्पतालों में कोविड मरीजों के इलाज के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होने से जुड़ी चिंताओं पर चड्ढा ने आगाह किया कि पूरे प्राइवेट सेक्टर को “एक ही तराजू पर नहीं तौला जा सकता.”

चड्ढा ने कहा, "हाँ, कुछ मुद्दे हैं जिन्हें हमें हल करने की जरूरत है. दिल्ली सरकार ने शहर में महामारी पर काबू पाने की दिशा में कई उपायों को सूचीबद्ध किया है. हम और अधिक क्रिटिकल फीडबैक का स्वागत करते हैं.”

वहीं, बीजेपी ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधा है. बीजेपी ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने लॉकडाउन की अवधि का इस्तेमाल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए कुशलता से नहीं किया.

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बीजेपी प्रवक्ता अमित मालवीय ने आश्चर्य जताया कि "आम आदमी पार्टी जिस हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के बेहतर होने का दावा करती थी वो इतनी जल्दी कैसे चरमरा गया.”

जांच से जुड़ी रिपोर्ट के ब्रॉडकास्ट के बाद टिप्पणी के लिए संपर्क किया गया तो धर्मशिला नारायणा महाप्रबंधक दीप्तेंदु ने इस बात से इनकार किया कि फैसिलिटी में पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है. दीप्तेंदु ने कहा, "हम कोविड मरीजों को भर्ती कर रहे हैं. हमारे पास समर्पित बेड्स हैं.”

जांच ब्रॉडकास्ट होने के बाद पंचशील के मालिक वी.के. गोयल ने स्वीकार किया कि उनके अस्पताल में कोविड देखभाल के लिए हाई-एंड सुविधाएं नहीं हैं. लेकिन उन्होंने साथ में ये भी कहा कि उनके यहां कोरोनावायरस मरीजों को भर्ती किया जाता है. गोयल ने कहा, "अगर हमें कोविड मरीज मिलते हैं, तो हम उन्हें अपनी सीमाओं के बारे में सूचित करने के बाद भर्ती करेंगे."

जांच में जो अन्य प्राइवेट अस्पताल शामिल थे, उनके प्रतिनिधि तत्काल टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके.

कड़ी चेतावनी

पिछले हफ्ते इंडिया टुडे ने प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों के रियलिटी चेक में दिखाया था कि मरीजों को बेड के लिए मना किया जा रहा है जबकि दिल्ली सरकार का कोरोना ऐप कुछ और दिखा रहा था. सोशल मीडिया पर भी कई यूजर्स ने आरोप लगाए कि उन्हें अस्पताल पहुंचने पर एडमिशन नहीं दिया गया.

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रिपोर्ट दिखाए जाने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि कुछ अस्पताल ‘गड़बड़ कर रहे’ हैं और अगर एक भी मरीज को भर्ती किए बिना लौटाया गया तो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा.

मुख्यमंत्री ने शनिवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा था, ‘हम ऐसे अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे. वो मरीजों को मना नहीं कर सकते. जो माफिया इसमें शामिल है उसे ब्रेक करने में कुछ वक्त लगेगा. इन थोड़े अस्पतालों के राजनीतिक कनेक्शन हैं लेकिन वो किसी भ्रम में न रहें कि उनके राजनीतिक आका उन्हें बचा लेंगे.'

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