माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की शनिवार रात को गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी. अतीक को 8 गोली मारीं गईं थीं और अशरफ के शरीर से 5 गोलियां निकली हैं. सिर, छाती, गर्दन पर गोलियां लगी थीं. जिन तीन लोगों ने अतीक और अशरफ की हत्या की थी, वह भी गिरफ्तार किए जा चुके हैं. इस हत्याकांड को लेकर विश्व हिंदू परिषद की प्रतिक्रिया सामने आई है.
विश्व हिंदू परिषद ने ट्वीट करते हुए लिखा है, ''अतीक अहमद की हत्या में बजरंग दल का नाम लेकर अफवाह उड़ाई जा रही हैं जो, पूर्णतः भ्रामक हैं, हत्या करने वाले कौन हैं इसकी जांच यूपी सरकार करा रही है, सत्य सामने आ ही जायेगा''
अतीक अहमद की हत्या में बजरंग दल का नाम लेकर अफवाह उड़ाई जा रही हैं जो, पूर्णतः भ्रामक हैं।
हत्या करने वाले कौन हैं इसकी जांच यूपी सरकार करा रही है। सत्य सामने आ ही जायेगा।— Vishva Hindu Parishad -VHP (@VHPDigital) April 16, 2023
दरअसल, अतीक और अशरफ की हत्या करने वालों में शामिल बांदा का लवलेश तिवारी काफी साल पहले बजरंग दल (Bajrang Dal) से जुड़ा था. उसकी मां आशा देवी ने 'आजतक' से बातचीत में बताया कि लवलेश भगवान का भक्त था. बिना पूजा-पाठ किए वह खाना तक नहीं खाता था. आशा देवी ने आगे बताया कि उन्होंने जब टीवी पर यह खबर सुनी ही अतीक और अशरफ को गोली मारने वाले शूटर्स में उनका बेटा भी शामिल है तो उन्हें बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ. आशा देवी ने कहा, ''पता नहीं वो कैसी संगत में फंस गया कि उसने ये सब कर दिया.''
साल 1984 में हुई थी बजरंग दल की स्थापना
बता दें कि, विश्व हिंदू परिषद की यूथ विंग को बजरंग दल कहा जाता है. विश्व हिंदू परिषद की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, बजरंग दल की स्थापना 8 अक्टूबर 1984 को अयोध्या में हुई थी.
अतीक और अशरफ की हत्या करने वाले तीनों आरोपियों की क्राइम कुंडली
- सनी सिंह के खिलाफ 15 केस दर्ज
सनी सिंह हमीरपुर जिले के कुरारा कस्बे का रहने वाला है. वो कुरारा पुलिस थाने का हिस्ट्रीशीटर है, जिसकी हिस्ट्रीशीट नंबर 281A है. उसके खिलाफ करीब 15 केस दर्ज हैं. उसके भाई पिंटू ने बताया कि वो बीते 10 साल से अपने घर नहीं आया है. सनी के पिता जगत सिंह और मां की मौत हो चुकी है.
- अरुण के खिलाफ कई मामले
अतीक-अशरफ हत्याकांड में कासगंज का अरुण उर्फ कालिया भी शामिल था. वो सोरों थाना क्षेत्र के बघेला पुख्ता का रहने वाला है. अरुण के पिता का नाम हीरालाल बताया जा रहा है. वो छह साल से बाहर रह रहा था. उसके माता-पिता की मौत करीब 15 पहले हो चुकी थी. अरुण ने जीआरपी थाने में तैनात पुलिसकर्मी की हत्या कर दी थी, जिसके बाद से ही वो फरार है. अरुण के दो छोटे भाई भी हैं, जिनके नाम धर्मेंद्र और आकाश हैं, जोकि फरीदाबाद में रहकर कबाडे का काम करते हैं.
- पहले भी जेल जा चुका है लवलेश
बांदा में लवलेश तिवारी के घर का पता चल गया है. वो शहर कोतवाली के क्योतरा इलाके का रहने वाला है. उसके पिता ने आजतक से बात करते हुए कहा कि हमसे उसका कोई मतलब नहीं था. वह कभी-कभी ही घर आता-जाता था. 5-6 दिन पहले ही बांदा आया था. लवलेश इससे पहले एक मामले में जेल भी जा चुका है. लवलेश के खिलाफ चार पुलिस केस हैं. इनमें पहले मामले में उसे एक महीने की सजा हुई थी. दूसरा मामला लड़की को थप्पड़ मारने का था, उसमें डेढ़ साल की जेल हुई थी. तीसरा मामला शराब से जुड़ा हुआ था, इसके अलावा एक और मामला है.
चली थीं 18 राउंड गोलियां
माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात को पुलिस घेरे में गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी. वारदात को तीन युवकों ने अंजाम दिया, जो पत्रकार बनकर पुलिस के काफिले के नजदीक पहुंचे और ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. इस दौरान करीब 18 राउंड गोलियां चलीं, जिनमें से 8 गोली अतीक अहमद को लगीं. ये बात अतीक के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आई है.
दरअसल, रविवार दोपहर बाद अतीक और अशरफ का पोस्टमार्टम किया गया. जिसकी रिपोर्ट आने पर यह बात सामने आई कि शूटआउट के दौरान उसके शरीर में कुल 8 गोलियां लगी हैं. वहीं अशरफ को 5 गोलियां लगी हैं. दोनों के शव पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिए गए हैं. अतीक और अशरफ के शवों का पोस्टमार्टम चार डॉक्टरों के पैनल ने किया है. इस दौरान पूरे पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी भी कराई गई है.
अतीक को कहां-कहां लगी गोलियां?
- एक सिर में
- एक गर्दन में
- एक छाती में
- एक कमर में
अशरफ को कहां-कहां लगी गोलियां?
-एक गले में
-एक बीच पीठ में
-एक कलाई में
-एक पेट में
-एक कमर में तीन गोलियां अशरफ के शरीर के अंदर मिली हैं और दो आर पार हो गईं.
पोस्टमार्टम करने वाले पैनल में शामिल टीम के नाम?
1. डॉ दीपक तिवारी
2. डॉ बृजेश पटेल
3. रविंद्र सिंह (डिप्टी सीएमओ)
4. डॉ दिनेश कुमार सिंह (असिस्टेंट प्रोफेसर, फॉरेंसिक)
5. वीडियोग्राफर- रोहित कनौजिया
बता दें कि अतीक और अशरफ प्रयागराज पुलिस की कस्टडी में थे. जिस वक्त उनकी हत्या की गई, उस वक्त उन्हें मेडिकल चेकअप के लिए अस्पताल लाया गया था. उनके चारों ओर यूपी पुलिस के जवान भी मौजूद थे. इस दौरान जब मीडिया अतीक और अशरफ से सवाल पूछ रही थी, तभी पत्रकार बनकर आए हमलावरों ने ताबड़तोड़ 18 राउंड फायरिंग की. जिसमें दोनों की मौके पर ही मौत हो गई.