नोटबंदी पर जमकर राजनीति करने के बाद अब दिल्ली सरकार ने प्रशासनिक शटडाउन का भी मन बना लिया है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया कि मोदी सरकार की नोटबंदी की बदौलत इस महीने सरकारी कर्मचारियों को सैलरी दे पाना मुश्किल है.
अब तक आपने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके कैबिनेट मंत्रियों को संसद से सड़क तक नोटबंदी के खिलाफ राजनीति करते ही देखा होगा, लेकिन अब दिल्ली सरकार नोटबंदी को वजह बताते हुए प्रशासनिक शट डाउन पर उतर आई है. ऐसा हम नहीं कह रहे, खुद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अपने ट्वीट के जरिए ये बात कह रहे हैं. ट्विटर पर मनीष सिसोदिया ने कहा, 'दिल्ली के बाजारों में कोई व्यापार नहीं बचा है. लिहाजा इस महीने टैक्स कलेक्शन 50 फीसदी तक कम हो सकता है. ऐसे में सरकारी कर्मचारियों को तनख्वाह दे पाना मुश्किल होगा.'
सिसोदिया का इतना बोलना था कि बीजेपी ने छूटते ही हमला बोला. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि नोटबंदी से पहले भी दिल्ली सरकार को कम रेवेन्यू ही हुआ था. पिछले वित्तीय वर्ष में तो सरकार अपने लक्ष्य तक भी नहीं पहुंच पाई थी, तब तो नोटबंदी थी भी नहीं. लिहाजा बेहतर है कि केजरीवाल सरकार बहाने बनाने के बजाय टैक्स कलेक्शन पर ध्यान दे.
बता दें, 2015-16 में भी केजरीवाल सरकार टैक्स कलेक्शन का टारगेट पर रन आउट हो गई थी. लिहाजा इसमें कोई दो राय नहीं है कि अगर सरकारी कर्मचारियों को सैलरी दिल्ली सरकार नहीं दे पाती है, तो इसके लिए कोई दूसरा ही बहाना ढूंढ़ना होगा. सरकार से इस बात की अपेक्षा जरूर होती है कि प्रशासन और राजनीति में बुनियादी फर्क वो समझ कर चले.