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'उपहार कांड' पर बनी वेब सीरीज 13 जनवरी को ही होगी रिलीज, सुशील अंसल को दिल्ली हाईकोर्ट से झटका

अपनी याचिका में अंसल ने दलील दी कि इस सीरीज में सिनेमा मालिक के किरदार को बहुत घटिया और नैतिक रूप से गिरा हुआ दिखाया गया है. इसके साथ ही घटना क्रम के साथ भी मनमानी छेड़छाड़ की गई है. साल 1997 में हुए उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में सजायाफ्ता रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल ने मंगलवार को इसको लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

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1997 में उपहार सिनेमा में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी
1997 में उपहार सिनेमा में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी

उपहार अग्निकांड को लेकर बनी वेब सीरीज  'ट्रायल बाई फायर' पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है. सुशील अंसल ने इस सीरीज पर रोक लगाने की मांग की थी. ये वेब सीरीज शुक्रवार 13 जनवरी को ओटीटी प्लेटफार्म नेटफिलक्स पर रिलीज हो रही है. जिसके बाद उपहार सिनेमा के मालिक और इस मामले में सजायाफ्ता सुशील अंसल ने इस पर रोक लगाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

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अपनी याचिका में अंसल ने दलील दी कि इस सीरीज में सिनेमा मालिक के किरदार को बहुत घटिया और नैतिक रूप से गिरा हुआ दिखाया गया है. इसके साथ ही घटना क्रम के साथ भी मनमानी छेड़छाड़ की गई है. साल 1997 में हुए उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में सजायाफ्ता रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल ने मंगलवार को इसको लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिस पर बुधवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

बता दें कि अंसल इससे पहले इसी कांड पर इसी नाम से लिखी गई किताब ट्रायल बाई फायर: द ट्रेजिक ट्रेल ऑफ उपहार ट्रेजेडी पर भी रोक लगाने की गुहार लगाते हुए कोर्ट पहुंचे थे. सुशील अंसल ने अपनी दलील में कहा था कि इन सबके जरिए उन्हें कानूनी और सामाजिक रूप से दंडित किया गया है. कहा जा रहा है कि ये सीरीज उपहार कांड में पीड़ित एक दंपति द्वारा लिखी गई किताब पर आधारित है. कृष्णमूर्ति दंपति ने अपने दो बच्चे उस अग्निकांड में खो दिए थे. याचिका में कहा गया कि इस रिलीज से अंसल को अपूरणीय क्षति होगी. उसकी प्रतिष्ठा और निजता के अधिकार का हनन होगा. 

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गौरतलब है कि 13 जून, 1997 को उपहार सिनेमा में हिंदी फिल्म 'बॉर्डर' की स्क्रीनिंग के दौरान भीषण आग लग गई थी. जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी. जांच में उपहार प्रबंधन की अनेक लापरवाहियां और ज्यादा टिकटें बेचकर ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में किए गए अवैध काम की भी पोल खुली थी. बाद में अंसल के गुर्गों ने हाईकोर्ट स्टाफ के साथ मिलकर कोर्ट के दस्तावेजों में हेराफेरी भी की थी.

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