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100 दिन में इन मुद्दों पर चूकी केजरीवाल सरकार

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने उपलब्धियां तो हासिल की हैं, लेकिन विवादों के चलते उनके काम-काज में अड़चनें भी खूब आई हैं. आपको बताते हैं कि किन मोर्चों पर बीते 100 दिन में केजरीवाल सरकार का काम-काज संतोषजनक नहीं रहा.

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Arvind Kejriwal
Arvind Kejriwal

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने उपलब्धियां तो हासिल की हैं, लेकिन विवादों के चलते उनके काम-काज में अड़चनें भी खूब आई हैं. चुनाव से पहले कई मुद्दे आम आदमी पार्टी की प्राथमिकताओं पर थे, लेकिन प्रचंड बहुमत के बावजूद AAP सरकार फिलहाल इन्हें पूरा करने में चूक गई. आपको बताते हैं कि किन मोर्चों पर बीते 100 दिन में केजरीवाल सरकार का काम-काज संतोषजनक नहीं रहा.

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1. जनलोकपाल
जिस आंदोलन ने आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद को जांबाज नेता अरविंद केजरीवाल बनाया, वह जनलोकपाल का आंदोलन ही था. पिछली बार इसी मुद्दे पर केजरीवाल ने मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी थी. लेकिन इस बार प्रचंड बहुमत के बावजूद दिल्ली सरकार अब तक जनलोकपाल बिल नहीं पास करवा सकी. एलजी से विवाद के बाद केजरीवाल सरकार ने विधानसभा का आपात सत्र बुला लिया, लेकिन जनलोकपाल के लिए सत्र बुलाने का ख्याल उन्हें नहीं आया. हालांकि एक सुगबुगाहट यह भी है कि इस बार पार्टी इस कानून के ड्राफ्ट को अच्छी तरह मांझने में लगी है और इस बारे में जल्दबाजी नहीं करना चाहती. फिर भी कागजों पर यह उसकी नाकामी ही है.

2. पूर्ण राज्य का दर्जा
केंद्र सरकार के सहयोग के बिना यह संभव नहीं है. लेकिन यह चुनावी वादा आम आदमी पार्टी का भी था, लिहाजा दिल्ली सरकार भी इसके लिए नैतिक तौर पर जवाबदेह है. उसकी कामयाबी इसी बात पर निर्भर है कि वह केंद्र सरकार को पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए मनवा ले. लेकिन इस पर कोई ठोस पहल अब तक नहीं की गई.

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3. महिला सुरक्षा
महिलाओं की सुरक्षा के लिए बसों में मार्शल्स की तैनाती अब तक नहीं हो पाई है. हालांकि AAP नेता बहुत जल्द इसे पूरा करने का दावा कर रहे हैं, पर अभी तक नतीजा ढाक के पात ही है. फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का वादा भी अभी अमल में नहीं लाया गया है. मोबाइल में सुरक्षा बटन देने का वादा भी खूब हवा में रहा था, लेकिन इस बारे में भी कुछ नहीं किया गया है.

4. सीसीटीवी कैमरे
AAP सरकार ने पूरी दिल्ली में डेढ़ लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने का वादा किया था. यह सही है कि 100 दिन में इतने कैमरे नहीं लगाए जा सकते, लेकिन इसे भी केजरीवाल सरकार ने अपनी सौ दिनी प्राथमिक पहल में नहीं रखा.

5. फ्री वाई फाई
फ्री वाई-फाई का मुद्दा तो पहले दिन से ही विवादों में है. चुनाव में आप ने इसमें कारीगरी की थी. हिंदी में जारी घोषणापत्र और केजरीवाल के फोटो के साथ चुनाव के वक्त लगी होर्डिंग्स में पूरी दिल्ली को मुफ्त वाई-फाई देने की बात कही गई है, लेकिन अंग्रेजी के घोषणापत्र में सार्वजनिक जगहों की बात है. हालांकि समयसीमा के बजाय, सीमित डाटा के आधार पर यह सुविधा दी जाने की योजना है. इसके लिए फरवरी 2016 की डेडलाइन रखी गई है. खबर है कि सरकार न्यूनतम 512 केबीपीएस की स्पीड पर हर दिन 50 एमबी डाटा की सीमा तय करने की सोच रही है, पर अभी इस बारे में फैसला नहीं किया गया है.

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6. अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने की मांग
दिल्ली में कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे कर्मचारियों ने AAP को जमकर वोट डाले. उन्हें उम्मीद थी कि केजरीवाल सत्ता में आएंगे तो उन्हें स्थायी कर दिया जाएगा. लेकिन अब तक इस मोर्चे पर भी निराशा हाथ लगी है.

7. एलजी से टकराव
केजरीवाल सरकार ने सौ दिनों में बिजली-पानी के मुद्दे पर काम वादा निभाया है. लेकिन काम करने के लिए उपराज्यपाल से संबंध ठीक रखना भी जरूरी है. जिस तरह से दिल्ली में अधिकारों को लेकर संवैधानिक टकराव पैदा हुआ है, उसके बाद उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री, दोनों को समझना होगा कि व्यवस्था नियम-कायदों से चलेगी, कल्पनाओं से नहीं.

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