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नालों की सफाई नहीं होने के लिए जिम्मेदार कौन? मंत्री या अफसर?

एस के शर्मा के मुताबिक भारत के राष्ट्रपति की तरफ से ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल बनाए गए हैं. उसके मुताबिक किसी विभाग का मुखिया मंत्री होता है और इस लिहाज से जि़म्मेदारी संबंधित मंत्री की भी उतनी ही होती है जितनी की किसी टॉप अफसर की. इसीलिए मंत्री को छोड़कर सिर्फ अफसरों को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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दिल्ली में नालों की सफाई नहीं हुई, अब सरकार भी ये मान चुकी है, लेकिन इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार कौन, सवाल यही है. सवाल भी इसलिए क्योंकि दिल्ली विधानसभा में याचिका समिति की रिपोर्ट में पूरा ठीकरा पीडब्ल्यूडी के अफसरों पर फोड़ दिया गया है और पीडब्यूडी के प्रिंसपल सेक्रेटरी अश्वनी कुमार को पद से हटाने का प्रस्ताव भी पास कर दिया. लेकिन इसी फैसले के बाद अब ये सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर पीडब्ल्यूडी के नाले साफ नहीं हुए, तो इसकी जिम्मेदारी सिर्फ अफसरों की होगी या फिर पीडब्ल्यूडी मंत्री भी इसके लिए जवाबदार होने चाहिए.

इसी सवाल का जवाब हासिल करने के लिए 'आज तक' ने दिल्ली विधानसभा में सचिव रहे और संवैधानिक मामलों के जानकार एस के शर्मा से बात की. एस के शर्मा के मुताबिक भारत के राष्ट्रपति की तरफ से ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल बनाए गए हैं. उसके मुताबिक किसी विभाग का मुखिया मंत्री होता है और इस लिहाज से जि़म्मेदारी संबंधित मंत्री की भी उतनी ही होती है जितनी की किसी टॉप अफसर की. इसीलिए मंत्री को छोड़कर सिर्फ अफसरों को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है.

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हालांकि एस के शर्मा ने ये भी कहा कि विधानसभा किसी भी वक्त किसी भी अफसर को समन कर सकती है, उनसे जवाब ले सकती है और संबंधित दस्तावेज भी मंगा सकती है. अफसरों को जवाबदेह ठहरा सकती है, लेकिन बराबरी की जवाबदेही विभाग का कार्यभार संभाल रहे मंत्री की भी होती है.

याचिका समिति के सामने पेश होने के सवाल पर शर्मा कहते हैं कि यह समिति के विवेक पर निर्भर करता है कि वो किसे समन करती है. लेकिन अगर याचिका समिति मंत्री को समन करती तो उसे भी समिति के सामने पेश होना होता और ऐसा होना चाहिए था अगर पूरे विभाग की नाकामी का मामला है तो.

शर्मा के मुताबिक दिल्ली ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल के मुताबिक विधायिका के लोग मतलब एमएलए या मंत्री या फिर मुख्यमंत्री नौकरशाही के रोजमर्रा के कामों में दखलंदाजी नहीं कर सकते. कानून में हर किसी का काम तय है और उसे उसी के मुताबिक काम करना होगा.

 

गौरतलब है कि विधानसभा में सोमवार को एक प्रस्ताव पास किया गया. जिसमें पिटीशन कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर पीडब्ल्यूडी की नाकामी के लिए विभाग के सर्वोच्च अफसर अश्वनी कुमार के खिलाफ ना सिर्फ कार्रवाई करने की बात कही गई बल्कि उन्हें अपने पद से हटाने की भी सिफारिश की गई है.

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