MCD चुनाव में बीजेपी को जहां एक तरफ प्रचंड बहुमत मिला है, तो दूसरी ओर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को विपक्ष में बैठने को मजबूर होना पड़ा है. इसमें भी तीनों एमसीडी में आम आदमी पार्टी विपक्ष में अहम भूमिका में होगी, तो वहीं कांग्रेस के सामने चुनौती ऐसा चेहरा ढूंढने की होगी, जो आने वाले पांच सालों तक एमसीडी चुनाव में तीसरे नंबर पर रही कांग्रेस पार्षदों को जोड़े रख सके.
कांग्रेस बीते 10 साल से एमसीडी में विपक्ष में रही है. नॉर्थ एमसीडी में कांग्रेस के सबसे ज़्यादा 15 पार्षद जीते हैं, जबकि साउथ में 12 और ईस्ट में सबसे कम 3 पार्षद जीते. नॉर्थ एमसीडी में जिसको कांग्रेस का सबसे विश्वसनीय चेहरा माना जा रहा है वह मलकागंज से लगातार दूसरी बार जीत कर पहुंची गुड्डी देवी.
माना जा रहा है कि मोदी लहर में भी गुड्डी देवी ने अपनी सीट बचाकर आलाकमान का ध्यान अपनी ओर खींचा है. मलकागंज सीट पर दलित और मध्यम वर्गीय वोटर होने के कारण कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के साथ-साथ बहुजन समाज पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला था, लेकिन बीते पांच साल में महिला सुरक्षा हो या फिर शराब के ठेके बंद करवाना, वॉर्ड में पानी की किल्लत को लेकर प्रदर्शन हों या फिर जच्चा-बच्चा केंद्र बनवाना...गुड्डी देवी के इन्हीं कामों ने वोटरों में उनकी गहरी पैठ बना दी और वह अपना किला बचाने में कामयाब रहीं.
गुड्डी देवी उस वक्त चर्चा में आईं, जब उन्होंने पेंशन को फंड न मिलने पर सदन में सत्तापक्ष को जमकर खरी-खोटी सुनाई और विधवाओं और बुजुर्गों को पेंशन दिलवाई. माना जा रहा है कि दलितों से जुड़े मुद्दों पर गुड्डी देवी की लगातार लड़ाई को देखते हुए कांग्रेस उन पर दांव खेल सकती है. हालांकि आनंद पार्वत से जीत कर आईं प्रेरणा और बाज़ार सीता राम से सीमा ताहिरा भी इस दौड़ में हैं, क्योंकि इनके पास भी एमसीडी में पिछले 5 साल का अनुभव है.
साउथ एमसीडी में अभिषेक दत्त कांग्रेस की पहली पसंद हो सकते हैं. दत्त ने दूसरी बार जीत हासिल की है और एमसीडी से जुड़े मुद्दों पर अच्छी पकड़ रखते हैं. लिहाजा उनके अनुभव को देखते हुए कांग्रेस उन पर दांव खेल सकती है. ईस्ट एमसीडी में कांग्रेस की तरफ से नेता विपक्ष रह चुकी वरयाम कौर के इस चुनाव में हारने के कारण कांग्रेस किसी नए चेहरे को सामने ला सकती है.
उधर आम आदमी पार्टी में लगभग सभी नए चेहरे हैं, लेकिन नॉर्थ एमसीडी में अजमेरी गेट से आप के पार्षद राकेश कुमार की ये दूसरी पारी है. राकेश उस वक्त चर्चा में आए थे, जब रामलीला मैदान में तीनों एमसीडी के संयुक्त सदन के दौरान उनको चांटा मारा गया था. उसके बाद राजनीति गर्मा गई थी और आप के तमाम बड़े नेताओं ने इसकी निंदा करते हुए दोषियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी. राकेश के अनुभव को देखते हुए आप उनको नेता विपक्ष बना सकती है. वहीं, साउथ और ईस्ट में लगभग सभी नए पार्षदों के कारण कोई नया चेहरा ही नेता विपक्ष के पद पर बैठने की संभावना है.