दिल्ली से सटे ये गाजियाबाद स्थित एक अपार्टमेंट हरीश नाम का युवक पिछले 11 सालों से बिस्तर पर पड़ा है. आरजू की बस सांसें चल रही हैं, क्योंकि बाकी जिंदगी की कोई निशानी नहीं बची है.यहां तक की अब धीरे-धीरे शरीर भी कंकाल में तब्दील होता जा रहा है, लेकिन मौत है कि आती ही नहीं. इस लिए एक मां ने मायूस होकर अपने बेटे के हिस्से की मौत मांगने के लिए देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है, क्य़ोंकि हऱीश ना तो उठ सकता है. ना चल सकता है, ना करवट बदल सकता है, ना हंस सकता है ना रो सकता है ना बोल सकता है ना खुद से खा सकता है ना पी सकता है यहां तक कि वो अपने दर्द और तकलीफ का इजहार तक नहीं कर सकता. हरीश एक ऐसी जिंदगी जी रहा है, जिसकी धड़कन तो है पर जिंदगी नहीं.
हरीश की देखभाल करने वाली उनकी मां निर्मला का कहना है कि बिस्तर में पड़े-पड़े सड़े तो फिर क्या फायदा है ऐसी जिंदगी का. अब नहीं देखा जाता, जैसी इसकी तकलीफ है नहीं देख जाती. हाथ-पैर बिल्कुल टेढ़े हो गए हैं. अब भगवान इसे अपने-आप मुक्ति दे दे. हम नहीं बोल रहे कि भगवान इसे ठीक करें, पर अब इसे मुक्ति दे दें. अब इसके शरीर में कुछ नहीं है.
इंजीनियर बनना चाहता था हरीश
घर वालों ने बताया कि 11 साल पहले हरीश की जिंदगी पुरी तरह से गुलजार थी. हरीश इंजीनियर बनना चाहता था. अपने इसी ख्वाब को पूरा करने के लिए 2013 में उसने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया. पढ़ाई के दौरान वह यूनिवर्सिटी के नजदीक मोहाली में एक पीजी की चौथी मंजिल पर स्थित कमरे में रहता था. कॉलेज से आने के बाद एक रोज़ हरीश अपने पीजी की बालकोनी पर खड़ा था और अचानक वो उस बालकोनी से नीचे गिर गया. हरीश को फौरन पीजीआई चंडीगढ़ ले जाया गया. उसके सिर में गंभीर चोटें आई थीं. सांसें चल रही थी, लेकिन वो होश में नहीं था.
इस मामले में मोहाली पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज की है. हरीश के घरवालों के तब इलज़ाम भी लगाया था कि उनके बेटे को जानबूझ कर कुछ लड़कों ने बालकनी से नीचे गिराया था.
चंडीगढ़ पीजीआई में हरीश की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था. डॉक्टरों ने अपने हाथ खड़े कर लिए थे, लेकिन मां बाप ने हिम्मत नहीं हारी। वो हरीश को पीजीआई चंडीगढ़ से दिल्ली के एम्स ले आए. यहां भी उसका लंबा इलाज चला. पर उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. इसके बाद एम्स के डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया था. एम्स के बाद हरीश को दिल्ली के ही राम मनोहर लोहिया अस्पताल, फिर लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल और उसके बाद फोर्टिस अस्पताल में घर वालों ने भर्ती कराया, लेकिन कहीं कोई फायदा नहीं हुआ. अलबत्ता इस इलाज की वजह से घर की माली हालत दिन ब दिन खराब होती चली गई.
पिता ने लगाए मारपीट के आरोप
हरीश के पिता ने बताया कि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में हरीश का कंपटिशन होने था, लेकिन कंपटिशन से पहले ही ये घटना हो गई. उन्होंने हरीश के साथ मारपीट का आरोप लगाते हुए कहा कि हमने उसके शरीर पर चोट के कई निशान देखे थे. हरीश को बैट से मारा गया था. हमने वहां बैट देखा था और हरीश के चिन पर अभी भी निशान है. 20 अगस्त को इसे 11 साल पूरे हो जाएंगे. मेरी पत्नी ने मुझे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलने को कहा, पर मैंने उससे कहा कि मैं इस काम के लिए उनसे नहीं बोल पाऊंगा. किसी को मारा भी अपराध है.
SC में करेंगे मांग: वकील
वहीं, अधिवक्ता नीरज गुप्ता का कहना है कि जहां तक हमारे संविधान का सवाल है.संविधान में आर्टिकल 21 है जो राइट टू लाइफ की बात करता है. पर माननीय सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले आए हैं, जिनमें राइट टू लाइफ है. इसी प्रकार राइट टू डाई (मौत) होना चाहिए. पर ऐसा है. हम सुप्रीम कोर्ट में यही मांग करेंगे कि जैसी उसकी कंडीशन है उसके आधार पर उसे राइट टु डाई विद डिगरिट.