तो आखिर आऱुषि और हेमराज का कत्ल क्यों हुआ? उस रात घर के अंदर ऐसा क्या हुआ कि एक डॉक्टर ने अपने हाथ दो-दो खून से रंग लिए? वो कौन सी आवाज़ थी, जिसे सुनते ही डॉक्टर तलवार बेकाबू हो गए. और कौन सा मंज़र था जिसे देखते ही वो अपने होश खो बैठे. पेश है 15-16 मई 2008 की उस रात की आखिरी छह घंटे की पूरी कहानी.
आरुषि मर चुकी थी लेकिन हेमराज की सांसें अब भी चल रही थीं. ऐसे में तलवार दंपत्ति को लगा कि अगर आरुषि की मौत का असली जिम्मेदार हेमराज ही ज़िंदा रह गया, तो फिर उनका सारा राज़ खुल जाएगा. लिहाज़ा, अब उन्होंने जो फ़ैसला किया वो सोच-समझ कर लिया था. गुस्से में डॉक्टर तलवार आरुषि और हेमराज पर वार तो कर चुके थे. पर जब उन्हें अहसास हुआ कि आरुषि मर चुकी है तब दोनों पहली बार घबराए. घबराहट की वजह ये भी थी कि हेमराज अब तक बेहोश तो था पर जिंदा था. और वो सबको सारी कहानी बता सकता था. लिहाज़ा तब पहली बार डॉक्टर तलवार और नूपुर तलवार ने ये फैसला किया कि अब हेमराज को भी मार दिया जाए ताकि कोई सबूत ही ना बचे. उन्होंने हेमराज को मारने के बाद उसकी लाश को छुपाने और फिर मौका मिलते ही कहीं ले जाकर ठिकाने लगा दने की भी योजना बना ली थी.
इसी योजना के तहत डॉक्टर तलवार और नूपुर तलवार ने हेमराज को एक चादर में लपेटा और फिर बेहोश हेमराज को घसीटते हुए सीढ़ी के रास्ते छत पर ले गए. छत पर ले जाने के बाद डॉक्टर तलवार ने सर्जिकल ब्लेड से हेमराज का गला काट दिया. इसके बाद जब उन्हें उसकी मौत का यकीन हो गया तब उन्होंने छत पर ही पड़े कूलर का पैनल हेमराज की लाश पर डाल दिया ताकि लाश किसी को दिखाई ना दे. इसके बाद जिस चादर में लाश ऊपर ले गए थे वो चादर और हथियार लेकर वापस नीचे आए. फिर आरुषि के कमरे से डबल बेड का चादर उठाया और छत की ताला-चाभी लेकर वापस ऊपर गए.
इसके बाद चादर को दो छतों के बीच के खाली हिस्से में छुपा दिया. फिर छत के दरवाजे पर ताला लगाया और वापस आरुषि के कमरे में आ गए. अब आरुषि के कमरे की सफाई की बारी थी. पर इससे पहले डाक्टर तलवार ने मुर्दा आरुषि का गला उसी सर्जिकल ब्लेड से ठीक वैसे ही काटा जैसे हेमराज का गला काटा था. ताकि दोनों के जख्म एक जैसे लगें. इसके बाद बिस्तर पर बिखरे सामाम को ठीक किया. नई चादर बिछाई. कमरा ठीक करने के बाद डाक्टर नूपुर तलवार ने आरुषि की लाश की सफाई की और उसके कपड़े बदले. इस दौरान दोनों ने इंटरनेट के राउटर से भी छेड़छाड़ की.
कमरा साफ करने के बाद अब डॉक्टर तलवार ने खून से सने अपने और नूपुर तलवार के कपड़े, चादर, सर्जिकल ब्लेड इकट्ठा किए और देर रात को ही फ्लैट से बाहर जाकर उसे ठिकाने लगा दिया. जबकि गोल्फ स्टिक को धोने के बाद आरुषि के कमरे के सामने की दुछत्ती में छुपा दिया.
सब कुछ निपटाने के बाद दोनों ने फ्लैट के मेन गेट पर अंदर से ताला लगा दिया. जबकि बीच वाले लोहे के गेट पर बाहर की तरफ से ताला लगाया. ताला लगाने के बाद दोनों हेमराज के कमरे से होते हुए फ्लैट के अंदर आ गए. अब दोनों सुबह छह बजने का इंतज़ार कर रहे थे.