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#EvenOddPlan दिल्ली में कितना असरदार होगा बीजिंग मॉडल?

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कई फैसले भी लिए हैं, जिनमें सबके अधि‍क चर्चा सम और विषम संख्या वाले कारों के परिचालन को लेकर है.

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दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार ला रही नई व्यवस्था
दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार ला रही नई व्यवस्था

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हाई कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण को लेकर सचेत हो गई है. आम आदमी पार्टी की सरकार ने आनन-फानन में प्रदूषण को कम करने के लिए कई फैसले भी लिए हैं, जिनमें सबके अधि‍क चर्चा सम और विषम संख्या वाले कारों के परिचालन को लेकर है. सरकार ने इस नियम को बीजिंग से इम्पोर्ट किया है और वहां इसकी सफलता का उदाहरण दे रही है, जबकि इस ओर यह जानना भी जरूरी है‍ कि चीन की राजधानी में किन आधारों पर यह नियम लागू हुआ और फिर सफल.

दरअसल, बीजिंग में सम और विषम संख्या वाले नंबरों से मिलता-जुलता नियम 2008 में लागू हुआ था. लेकिन गौर करने वाली बात यह भी है कि वहां की सरकार और प्रशासन ने ऐसा करने से पहले और बाद में कई स्तरों को न सिर्फ खुद को बदला, बल्कि‍ इसे सफल भी बनाया. कम से कम दो स्तरों पर चीन ने वह किया, जो किसी भी पुराने तंत्र को अंशत: या पूर्णत: खत्म करने के लिए जरूरी होता है, यानी एक व्यवहारिक विकल्प.

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विकसित और मजबूत किया सब-वे और बस नेटवर्क
इस नियम के लागू होने पर सबसे बड़ा सवाल है कि लोग अगर हफ्ते में तीन दिन अपनी गाड़ी नहीं चलाएंगे तो काम चलेगा कैसे. क्योंकि ऑफिस से लेकर रोजमर्रा के सैकड़ों काम के लिए लाखों गाड़ि‍यां हर दिन सड़कों पर उतरती हैं. यानी जरूरत एक बेहतर और मजबूत विकल्प की है. बीजिंग ने इसी को ध्यान में रखते हुए सबसे पहले अपने पब्लि‍क ट्रांसपोर्ट सिस्टम को न सिर्फ मजबूत किया, बल्कि‍ उसका विस्तार भी.

बीजिंग में बस के फेरे बढ़ाने के साथ ही बसों की संख्या भी लगभग दोगुनी कर दी गई. यही नहीं, मेट्रो की तर्ज पर वहां सब-वे का विस्तार किया गया. कुछ ही वर्षों में वहां मेट्रो का विस्तार 600 किमी तक हो गया, जो दिल्ली मेट्रो से सीधे तौर पर दोगुना है. यानी अगर चार चक्कों को सड़कों पर उतरने से रोकना है तो छह चक्कों यानी यानी बसों की संख्या बढ़ानी होगी. मेट्रो ट्रेन की संख्या बढ़ानी होगी, फिलहाल चल रही ट्रेनों में डिब्बों की संख्या बढ़ानी होगी और रूट का युद्ध स्तर पर विस्तार करना होगा.

समझना होगा, गाड़ि‍यां बढ़ीं तो क्यों
एक साधारण सी समझ की बात है कि लोग आमतौर पर गाड़ि‍यां खरीदते क्यों है. अगर स्टेटस सिंबल के फेर को अलग करें तो सीधे तौर पर इसका जवाब मिलता है पब्लि‍क ट्रांसपोर्ट की भीड़ और समय की बचत के लिए. तो यहीं से दिल्ली सरकार के लिए दूसरा बड़ा सवाल खड़ा होता है. मसलन, बसों में भीड़ सड़कों पर साफ दिखती है तो दिल्ली मेट्रो में सफर करना और खासकर दफ्तर आने-जाने के समय में कोच में खड़े रहने तक के लिए गोरिल्ला वॉर जैसी स्थि‍ति बन जाती है. यहां यह बात भी गौर करने लायक है कि मेट्रो में 6 डिब्बों की बजाय 8 डिब्बों की बात भी हर रूट पर हर गाड़ी के साथ अभी तक पूरी हो नहीं सकी है.

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बीजिंग की तर्ज पर सर्विलांस सिस्टम
किसी भी नियम की घोषणा से अधि‍क महत्वपूर्ण उसे लागू करना होता है. बीजिंग में इस ओर प्रशासन ने जो दूसरी बड़ी कवायद की, वह सर्विलांस सिस्टम को लेकर है. दरअसल, वहां बड़े स्तर पर सड़कों पर ट्रैफिक पुलिस की मदद के लिए सर्विलांस कैमरों का जाल बिछाया गया. ये कैमरे सड़क की देखभाल करते हैं और किसी भी नियम के टूटने पर उल्लंघन करने वाले के नाम सीधे 200 युआन (करीब 2000 रुपये) का पर्चा काटकर उसके खाते में जोड़ देते हैं. अगर कोई एक ही दिन बार-बार नियमों की अनदेखी करता है तो उसे पहले तो हर बार के लिए भुगतान करना पड़ता है, वहीं तय किए गए मौकों से अधि‍क बार नियम तोड़ने पर लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है.

दिलचस्प है कि यह पूरा सिस्टम ऑटोमैटिक है. यानी इधर आपने नियम तोड़ा, उधर अकाउंट में जुर्माना जुड़ गया. तो क्या अरविंद केजरीवाल की सरकार बीजिंग से नियम इम्पोर्ट करने के साथ ही वहां मौजूदा व्यवस्था को भी आयात करेगी.

लोगों ने खरीदीं दो-दो गाड़ि‍यां
सम-विषम संख्या के नियम को लेकर जो चर्चाएं और चिंताएं आज भारत में हो रही हैं, चीन उसको झेल चुका है. सफल होने के बावजूद वहां इस नियम को लेकर कुछ नए चलन भी चल पड़े. मसलन, समृद्ध लोगों ने दो-दो गाड़ि‍यां खरीद लीं. इसका असर यह हुआ कि शहर में हर साल गाड़ि‍यों की संख्या बढ़ने लगी. नतीजा यह हुआ कि ट्रैफिक जाम की समस्या आने लगी और 2010 में 11 दिन तक यातायात बाधि‍त रहा.

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इसके बाद बीजिंग में कार खरीदने के लिए लॉटरी सिस्टम की व्यवस्था की गई. आज बीजिंग ट्रैफिक अथॉरिटी साल में सिर्फ 17,600 गाड़ि‍यां खरीदने की अनुमति देता है.

दिल्ली में क्या हैं वास्तविक हालात
राष्ट्रीय राजधानी की बात करें तो यहां दिल्ली मेट्रो की कुल 216 ट्रेनें रोज दौड़ती हैं, जिनमें 1,282 कोच हैं. ये ट्रेन हर रोज 2800 ट्रिप लगाते हैं और इनमें करीब 25 लाख यात्री हर दिन सवार होते हैं.

इसी तरह शहर में फिलहाल कुल 4700 डीटीसी की बसें हैं, जो दिन में 40 हजार ट्रिप लगाती हैं और इनमें 45 लाख लोग सवार होते हैं.

दूसरी ओर, दिल्ली में प्राइवेट कार और जीपों की संख्या 27,08,273 है, जबकि 27,15,297 स्कूटर और 28,61595 मोटरसाइकिल हैं. राजधानी में कमर्शि‍यल गाड़ि‍यों की संख्या 3,56,821 है, जबकि कुल प्राइवेट गाड़ि‍यों की संख्या 84,75,371 है.

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