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Delhi Pollution: दिल्लीवालों के लिए हर साल दिवाली के साथ ही प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन राष्ट्रीय राजधानी समेत दिल्ली-एनसीआर के इलाकों में दिवाली से पहले ही हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है. मौसम विभाग के मुताबिक, प्रदूषण के बिगड़ते स्तर से फिलहाल राहत मिलने की उम्मीद नहीं है. दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सांस के मरीजों को सतर्क रहने की चेतावनी दी जा रही है कि जरूरत होने पर ही घरों से बाहर निकलें. जहरीली हवा मरीजों के लिए घातक हो सकती है. आइए जानते हैं, दिल्लीवालों को प्रदूषण से राहत क्यों नहीं मिल रही है.
अगले दो दिन तक हवा में सुधार की उम्मीद नहीं
दिल्ली में हवा की गुणवत्ता आज (शनिवार) सुबह भी खराब श्रेणी में दर्ज की गई है. दिवाली आने में अभी एक दिन बाकी है और नोएडा में भी हवा की गुणवत्ता बेहद खराब स्तर पर पहुंच चुकी है. मौसम विभाग ने चेतावनी जारी है कि अगले 2 दिन हवा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद नहीं है. मौसम विभाग के मुताबिक, अगर दिवाली के मौके पर ज्यादा पटाखे चले तो हालात और बिगड़ सकते हैं.
पराली की वजह से प्रदूषण में आई कमी
मौसम विभाग के मुताबिक, इस समय पराली की वजह से प्रदूषण सिर्फ 3 से 4 फीसदी है. 50 फीसदी से ज्यादा प्रदूषण धूल और गाड़ियों से निकलने वाले धुएं की वजह से है. बढ़ती ठंड और हवा की सुस्त रफ्तार की वजह से प्रदूषण छंट नहीं रहा है. इसकी वजह से ह्रदय और सांस के मरीजों को सलाह दी जा रही है कि वो जरूरी होने पर ही घरों से बाहर निकलें.
क्यों जहरीली हो रही दिल्ली की हवा?
सवाल ये है कि अगर दिल्ली में पराली की वजह से होने वाले प्रदूषण में कमी आई है तो हवा में जहर कैसे भर रहा है. इसकी वजह है, हवा की सुस्त रफ्तार. मौसम विभाग का कहना है हवा की सुस्त रफ्तार की वजह से भी दिल्ली-एनसीआर में जहरीली हवा का असर बना रहेगा. आज दिल्ली में उत्तर पूर्वी दिशा से आ रही हवाओं की रफ्तार 5-10 किलमीटर प्रति घंटा रहेगी. 23 अक्टूबर को हवा की रफ्तार 4 किलोमीटर प्रति घंटा रहेगी. वहीं, 24 अक्टूबर को भी हवा की रफ्तार 5 किलोमीटर प्रति घंटा ही रहेगी. बता दें कि प्रदूषण छंटने के लिए हवा की रफ्तार 10 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा होना जरूरी है.
दिवाली के बाद बढ़ जाता है प्रदूषण
प्रदूषण से बचने के लिए दिल्ली में कई पाबंदियां और उपाय
दिल्ली में हवा के खराब स्तर के साथ पाबंदियों का दौर शुरू हो चुका है. इसके अलावा कई उपाय भी किए जा रहे हैं.कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट की आपात बैठक में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी ग्रैप के दूसरे चरण को लागू करने का फैसला कर लिया गया है. इसके तहत प्रदूषण कम करने के लिए हर दिन सड़कों की सफाई होगी. जबकि हर दूसरे दिन पानी का छिड़काव किया जाएगा. होटल या रेस्टोरेंट में कोयले या तंदूर का इस्तेमाल नहीं होगा. अस्पताल, रेल सर्विस, मेट्रो सर्विस जैसी जगहों को छोड़कर कहीं और डीजल जनरेटर का इस्तेमाल नहीं होगा. पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने पर जोर होगा. वहीं भीड़-भाड़ वाले इलाकों में स्मॉग टावर लगाए हैं.
दिल्ली में बढ़ेंगी पाबंदियां?
दिवाली के बाद दिल्ली का प्रदूषण और बढ़ने की संभावना है. ऐसे में GRAP के हिसाब से दिल्ली में पाबंदियां लागू रहेंगी और दिल्ली सरकार द्वारा 28 नवंबर से "रेड लाइट, ऑन गाड़ी ऑफ" का अभियान शुरू होगा. फिलहाल ये कार्यक्रम 1 महीने चलेगा. इसके लिए 2500 सिविल डिफ़ेंस वॉलंटियर्स को लगाया जाएगा. इसके लिए 100 बड़े चौराहों को चुना जाएगा.
किस आधार पर लागू होते हैं ग्रैप के ये चार चरण
कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट के मुताबिक, GRAP को चार कैटेगरी में लागू किया जाता है. हवा की गुणवत्ता 201 से 300 के बीच हो तो ग्रैप का पहला चरण लागू होता है. 301 से 400 के बीच ग्रैप का दूसरा चरण लागू होता है. 401 से 450 के बीच तीसरा और 450 से ऊपर जाने पर चौथा चरण लागू करने का प्रावधान है. बता दें कि शून्य से 50 के बीच AQI अच्छा, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच AQI ‘गंभीर’ माना जाता है.