फंड को लेकर पारदर्शिता का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी इन दिनों डोनर्स की जानकारी छुपाने के आरोपों से घिरी हुई है. हालांकि हर बार की तरह इस बार भी 'आप' नेताओं इसे बीजेपी की साज़िश करार दिया है.
आम आदमी पार्टी अक्सर ये दावा करती है कि वो फंड से जुड़ी हर जानकारी अपनी वेबसाइट पर जारी करती है लेकिन पिछले कुछ महीनों से फंड देने वाले डोनर्स की लिस्ट वेबसाइट पर न दिखने से कई सवाल ज़रूर खड़े कर दिए हैं.
फंड के आरोपों को खारिज़ करते हुए 'आप' नेता दिलीप पाण्डेय का कहना है कि 2013 में जब आम आदमी पार्टी पर विदेशी फंडिंग का आरोप लगा था, तब इसके उलट दिल्ली हाइकोर्ट ने बीजेपी के विदेशी फंड पर ही सवाल उठाए थे. 2015 में भी हम पर आरोप लगे जबकि हमने 2 करोड़ की जानकारी खुद वेबसाइट पर जारी की थी.
लेकिन एक बार फिर बीजेपी ने पंजाब चुनाव से पहले फंड को लेकर साज़िश शुरू कर दी है. दिलीप पाण्डेय ने आगे कहा कि बीजेपी के पास तमाम जांच एजेंसियां हैं वो चाहे तो हमारे फंड की जांच करवा लें और गलत साबित होने पर हमें जेल में डाल दें.
आम आदमी पार्टी का दावा है कि उनकी पार्टी का 92 फीसदी फंड ऑनलाइन बैंकिंग से आता है और 8 फीसदी कैश में, जिसकी ज्यादातर जानकारी डिस्क्लोज की जाती है. हालांकि जब 'आज तक' ने ये सवाल पूछा कि आम आदमी पार्टी की वेबसाइट पर चंदा देने वालों की लिस्ट कब देखने मिलेगी तो दिलीप पाण्डेय ने जवाब दिया कि डोनर की आइडेंटिटी को छुपाने के ऐसा किया गया है क्योंकि कई डोनर्स को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट परेशान कर रहा है.
नोटबंदी के बीच राजनीतिक फंड पर स्वराज इंडिया ने भी आम आदमी पार्टी को खुले मंच से बहस करने की चुनौती दी है. लेकिन बीजेपी और कांग्रेस को बहस का बुलावा देने वाले 'आप' नेता इसे पूरी तरह नजरअंदाज कर रहे हैं.