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कवि अशोक चक्रधर और AAP नेता कुमार विश्वास में ठनी, साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष पद को लेकर बवाल

आम आदमी पार्टी सिर्फ राजनीतिक मोर्चे पर ही विरोध का सामना नहीं कर रही. ताजा मुकाबला साहित्य के गलियारे का है. हिंदी साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष पद को लेकर दिग्गज हिंदी कवि अशोक चक्रधर की AAP सरकार और कुमार विश्वास से ठन गई है.

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कुमार विश्वास-अशोक चक्रधर
कुमार विश्वास-अशोक चक्रधर

आम आदमी पार्टी सिर्फ राजनीतिक मोर्चे पर ही विरोध का सामना नहीं कर रही. ताजा मुकाबला साहित्य के गलियारे का है. हिंदी साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष पद को लेकर दिग्गज हिंदी कवि अशोक चक्रधर की AAP सरकार और कुमार विश्वास से ठन गई है.

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दरअसल, दिल्ली में शीला सरकार के समय अशोक चक्रधर हिंदी साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष थे. लेकिन फिर सत्ता बदल गई. चक्रधर ने दो हफ्ते पहले सरकार को अपना इस्तीफा भेज दिया, लेकिन सरकार की ओर से अब तक इसकी मंजूरी की औपचारिक सूचना उन्हें नहीं दी गई.

लेकिन चक्रधर उस वक्त हैरान रह गए जब उन्हें अकादमी के सालाना फेस्ट का इनविटेशन कार्ड मिला, लेकिन इसमें उपाध्यक्ष की जगह उनका नहीं बल्कि AAP नेता कुमार विश्वास का नाम था. चक्रधर की चिंता यह है कि उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय ने उन्हें इस्तीफा मंजूर किए जाने की औपचारिक सूचना क्यों नहीं दी.

चक्रधर ने बताया कि उन्होंने 28 दिसंबर को मुख्यमंत्री केजरीवाल को अपना इस्तीफा भेजा था. जवाब न आने पर उन्होंने दोबारा 31 दिसंबर को सीएम को चिट्ठी लिखी. गौरतलब है कि साहित्य अकादमी दिल्ली सरकार के अंतर्गत आती है. प्रदेश के मुख्यमंत्री अकादमी के अध्यक्ष होते हैं और सीएम दफ्तर की ओर से उपाध्यक्ष नियुक्त किए जाते हैं. चक्रधर के मुताबिक, अकादमी से वह पांच दशकों से ज्यादा वक्त से जुड़े हैं.

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 सिब्बल की कविताओं का अनुवाद करते हैं चक्रधर: कुमार
अमेठी में राहुल गांधी को चुनौती देने में जुटे कुमार विश्वास से पूछा गया तो उनकी प्रतिक्रिया काव्यात्मक बिल्कुल नहीं थी. उन्होंने कहा, 'अशोक जी सरकार के बहुत करीब रहे हैं. कपिल सिब्बल की कविताओं का अनुवाद किया है, पर सड़क पर उतर कर कभी संघर्ष नहीं किया. वह लाल बत्ती की गाड़ी में घूमते हैं. सारी सुविधाएं मिली हैं और अगर उन्हें बहुत तकलीफ हो रही है तो मैं अरविंद से बात करके वो वापस दिला दूंगा.'

चक्रधर पर कुमार विश्वास ने कहा, 'मैं उनसे महंगा कवि हूं.' अकादमी के काम-काज पर इस बवाल का क्या असर होगा, यह देखना अभी बाकी है. पर जो कुछ भी हो रहा है उसका कविता या साहित्य से कितना लेना-देना है, आप भी जानते हैं.

अकादमी का सालाना फेस्टिवल 16 जनवरी को लाल किले पर होना है.

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