दिल्ली हाईकोर्ट ने एनएचआरसी के एक आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें आम आदमी पार्टी के नेता सोमनाथ भारती को दक्षिण दिल्ली के खिड़की एक्सटेंशन इलाके में इस साल की शुरुआत में मध्य रात्रि के समय छापेमारी के दौरान 12 अफ्रीकी महिलाओं के खिलाफ नस्ली पूर्वाग्रह रखने और गैर कानूनी कृत्य का उन्हें दोषी ठहराया गया था. न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह की अवकाशकालीन पीठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के 29 सितंबर के आदेश को निरस्त करते हुए एनएचआरसी को मामले की नए सिरे से सुनवाई करने और भारती को साक्ष्य पेश करने की अनुमति देने का निर्देश दिया.
सोमनाथ भारती के खिलाफ चार्जशीट दाखिल
अदालत ने कहा, 'एनएचआरसी के पास पहले से उपलब्ध रिपोर्ट को पूर्ण सुनवाई के लिए बुनियादी सामग्री के तौर पर लिया जाएगा. उसने पहले ही निर्देश दिया है कि अपीलकर्ता को इस तरह की सामग्रियों की प्रति सौंपी जाए. अगर भारती मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 19 (बी) के अनुसार कोई साक्ष्य देना चाहते हैं तो उन्हें एनएचआरसी द्वारा ऐसा करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
पीठ ने कहा, 'अदालत इसलिए एनएचआरसी द्वारा 29 सितंबर 2014 द्वारा पारित आदेश को निरस्त करती है क्योंकि यह पीएचआरए की धारा 16 के अनुरूप नहीं है. समूचे मामले पर नए सिरे से सुनवाई की जाए. अदालत ने दिल्ली पुलिस आयुक्त और दिल्ली सरकार को भी निर्देश दिया कि वे इस बात को सुनिश्चित करें कि एनएचआरसी के समक्ष उनका प्रतिनिधित्व हो.'
अदालत ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसने भारती की याचिका को समय से पूर्व बताकर खारिज कर दिया था. अदालत ने एकल न्यायाधीश के 23 दिसंबर के आदेश के खिलाफ भारती की अपील का निस्तारण करते हुए यह आदेश दिया. एकल न्यायाधीश ने एनएचआरसी के 29 सितंबर के आदेश के खिलाफ भारती की याचिका खारिज कर दी थी.
भारती की याचिका को मंजूर करते हुए अदालत ने कहा कि एनएचआरसी ने स्वत: संज्ञान लेकर भारती के खिलाफ कार्रवाई की. अदालत ने कहा, 'दरअसल एनएचआरसी ने 29 सितंबर 2014 को बिना किसी पक्ष को सुने हुए ही आदेश दिया. जहां तक 22 दिसंबर का सवाल है तो सिर्फ भारती को सुना गया.'
अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल संजय जैन मामले में केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए. भारती ने अपनी याचिका में केंद्र, एनएचआरसी और दिल्ली सरकार से 100 करोड़ रुपये का मुआवजा भी मांगा था.