आरएसएस की महिला वर्ग राष्ट्र सेविका समिति 'गर्भ संस्कार' (गर्भावस्था संस्कृति) नाम से एक अभियान शुरू किया है. इसके तहत स्त्री रोग विशेषज्ञ गर्भवती महिलाओं तक पहुंचेंगी और उन्हें सिखाएंगी कि कैसे उन प्रथाओं को अपनाना है. इससे सुनिश्चित हो सकेगा कि बच्चा जन्म से पहले ही भारतीय संस्कृति के बारे में सीख ले.
इसके लिए रविवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. यहां कई स्त्री रोग विशेषज्ञ इकट्ठा हुए और उनसे इस एक्सरसाइज के बारे में जाना. इसके बाद अब आरएसएस पूरे देश में इस अभियान को चलाने की तैयारी में है.
गर्भावस्था में सुनी अच्छी बातों का होता है संतान पर असर
दरअसल, महाभारत में युद्ध के मैदान में अभिमन्यु को चक्रव्यूह तोड़ने के लिए भेजा गया था. क्योंकि उसने अपने के गर्भ में ही चक्रव्यूह को भेदने की कला सीख ली थी. कहते हैं गर्भावस्था के दौरान महिलाएं ईश्वर के भजन और अच्छी बातें जितनी सुनेगी, उसका उतना ही असर उनकी संतान पर होता है.
इसको लेकर ही आरएसएस अब देश भर में गर्भवती महिलाओं को ये समझाएगा कि गर्भावस्था के दौरान भगवान राम की कहानी, भगवान कृष्ण की कहानी और हनुमान और शिवाजी से जुड़े किस्से पढ़े और सुनें. इससे गर्भ में पल रहे बच्चे संस्कार जल्दी सीख सकेंगे.
सभी को दी जाएगी गर्भ संस्कार की जानकारी- डॉ. ग्लैडविन
मामले में आरएसएस के डॉ. ग्लैडविन त्यागी ने बताया कि हमारी कोशिश है कि गर्भ संस्कार की जानकारी सबको हो. सभी गर्भवती महिला भगवान से जुड़े. महिलाएं किस्से-कहानियां अपने गर्भ में पल रही संतान तक पहुंचाए. इस तरह से संस्कार की उपज गर्भ में होगी. इसकी शुरुआत दिल्ली से हुई है. अगले कुछ महीनों में देश भर इसका प्रचार किया जाएगा.
संतान को देंगे जैसे संस्कार, वही वापस मिलेंगे- डॉ. अनुपमा
वहीं, आयुर्वेद आचार्य डॉ. अनुपमा शर्मा ने बताया कि ये मुमकिन है और हमारे वेदों में इस बाद का उल्लेख है कि जिन संस्कारों को हम अपनी संतान को देंगे, वही वापस मिलेंगे. अभिमन्यु ने भी तो युद्ध की हर कला अपने मां के गर्भ से ही सिख ली थी. तो क्यों नहीं अच्छी सिख, सही आचरण और ईश्वर से जुड़ी कहानियों को जन्म से पहले शिशु को दे.