Delhi Flood News: दिल्ली में यमुना नदी उफान पर है और बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है. पानी डेंजर लेवल को क्रॉस कर गया है. 45 साल पुराना रिकॉर्ड भी टूट गया है. गुरुवार तक यमुना में 208.53 मीटर तक पानी पहुंच गया. इससे पहले यमुना में 207.49 मीटर पानी पहुंचने का रिकॉर्ड था. बारिश के बाद नदी के आसपास रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है. आइए जानते हैं दिल्ली में यमुना की कहानी... यमुना में कहां-कहां से पानी आता है और यह नदी कहां से शुरू होती है? हथिनी बैराज से इतने जल्दी पानी क्यों आने लगा है? एक्सपर्ट ने बाढ़ के खतरे के लिए कौन-कौन से कारण बताए हैं?
दिल्ली की अभी स्थिति क्या है?
- दिल्ली को पानी देने वाले तीन वॉटर प्लांट बंद हो गए हैं. सीएम अरविंद केजरीवाल ने बताया कि पानी घुसने की वजह से दिल्ली के तीन वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बंद किए गए हैं. 25% पानी नहीं मिलेगा. अगले 2 दिन तक दिल्ली में पानी की किल्लत होगी.
- 2013 के बाद पहली बार पुराने रेलवे ब्रिज पर जल स्तर सुबह 4 बजे 207 मीटर के निशान को पार कर गया है. रात 11 बजे तक बढ़कर 208.08 मीटर हो गया था. गुरुवार सुबह तक 208.53 मीटर तक पहुंच गया. इसके और बढ़ने की उम्मीद है.
- यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन के बाहर पानी भर गया है. एंट्री और एग्जिट गेट बंद कर दिया गया है. हालांकि, इंटरचेंज सुविधा अभी भी उपलब्ध है. ब्लू लाइन पर सेवाएं सामान्य रूप से चल रही हैं. मेट्रो में अनाउंसमेंट किया जा रहा है. लक्ष्मी नगर या अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन से आवागमन किए जाने की अपील की जा रही है.
- यमुना के बढ़ते जल स्तर के कारण एहतियात के तौर पर नदी पर बने सभी चार मेट्रो पुलों से ट्रेनें 30 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गुजर रही हैं. सभी रूट्स पर सेवाएं सामान्य हैं.
- दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने गुरुवार को काम बंद रखा है. यहां जलभराव है. कर्मचारियों/वकीलों को पहुंचने में मुश्किल हो रही है. वकीलों का कहना है कि विकास मीनार और आईपी थर्मल पावर प्लांट के पास आजाद भवन के आसपास जलभराव है.
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- दिल्ली की सबसे बड़ी बुराड़ी ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के दफ्तर में यमुना के बाढ़ का पानी घुस गया है. गुरुवार से ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी बंद रहेगी. लोगों से किसी भी काम के लिए दफ्तर नहीं पहुंचने की अपील की गई है.
- रिंग रोड पर पानी आने के बाद कश्मीरी गेट जाने वाले रास्ते को दिल्ली पुलिस ने बंद कर दिया है. बुराड़ी-अलीपुर से आने ट्रैफिक को तिमारपुर की तरफ डायवर्ट किया गया है.
- गुरुवार सुबह 8 बजे तक यमुना नदी का जलस्तर 208.48 मीटर दर्ज किया गया है. खतरे के निशान से 3 मीटर 15 मीटर ऊपर पानी पहुंच गया है.
- केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने इसे एक्सट्रीम सिचुएशन करार दिया है. हर गुजरते घंटे के साथ स्थिति बिगड़ने की आशंका बढ़ गई है. दिल्ली पुलिस ने बाढ़ संभावित इलाकों में सीआरपीसी की धारा 144 लगा दी है. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गुरुवार को दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक भी बुलाई है.
यमुना में पानी कहां से आता है?
- यमुना पर दो प्रमुख बैराज हैं- देहरादून में डाकपत्थर और दिल्ली के अपस्ट्रीम में यमुनानगर में हथिनीकुंड. नदी पर कोई बांध नहीं हैं. इसलिए अधिकांश मानसून की बारिश अप्रयुक्त रहती है, जिसके कारण मौसम के दौरान बाढ़ आ जाती है. दिल्ली में पिछले तीन दिनों में यमुना के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है. रविवार सुबह 11 बजे 203.14 मीटर से बढ़कर सोमवार शाम 5 बजे 205.4 मीटर हो गया.
- यमुना का पानी 18 घंटे पहले खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर गया है. यमुना का जल स्तर और बढ़ने की स्थिति से निपटने की तैयारी की जा रही है. दिल्ली के अन्य हिस्सों में बाढ़ को रोकने के लिए निचले इलाकों में तटबंध बनाए जा रहे हैं.
दिल्ली में कब-कब बड़ी बाढ़ें आईं?
दिल्ली में साल 1900 के बाद कई बड़ी बाढ़ आईं. 1924, 1947, 1976, 1978, 1988, 1995, 2010, 2013 में दिल्ली के तमाम इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया. अब 2023 में यमुना के जलस्तर ने 1978 का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. रिसर्च के अनुसार, 1963 से 2010 तक का एनालिसिस बताता है कि दिल्ली में सितंबर में बाढ़ आने की प्रवृत्ति बढ़ती है और जुलाई में बाढ़ घटने के संकेत मिलते हैं.
दिल्ली में बाढ़ आने के क्या कारण हैं?
- एक्सपर्ट ने बाढ़ के कारण भी गिनाए हैं. उनका कहना है कि बाढ़ के मैदानों पर अतिक्रमण हो गया है. कम समय में अत्यधिक बारिश हो रही है और गाद जमने के कारण नदी तल ऊंचा हो गया है.
- सीडब्ल्यूसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी को पिछले वर्षों की तुलना में दिल्ली पहुंचने में कम समय लगने लगा है. इसका मुख्य कारण अतिक्रमण और गाद हो सकता है. पहले पानी को बहने के लिए ज्यादा जगह मिलती थी. अब यह नदी एक संकरे रास्ते से होकर गुजरने लगी है.
- राष्ट्रीय राजधानी से करीब 180 किलोमीटर दूर हरियाणा के यमुनानगर में हथिनी बैराज से पानी को दिल्ली तक पहुंचने में पहले करीब दो से तीन दिन लगते थे. अब यह पानी दिल्ली तक बेहद कम समय में पहुंच जाता है.
- एक्सपर्ट ने दिल्ली में यमुना के उग्र होने का प्राथमिक कारण भी बताया. उन्होंने कहा, अल्प अवधि में अत्यधिक बारिश होने से हालात बिगड़ जाते हैं. हालांकि, समान मात्रा में लंबे समय तक भी पानी गिरे, तब भी ऐसी स्थिति पैदा नहीं होगी. क्योंकि इससे पानी को गुजरने के लिए समय मिल जाता है. यदि कम मात्रा में वर्षा होती है तो भी बहाव का स्तर ऊंचा हो सकता है.
- एक अन्य एक्सपर्ट ने यमुना में रिकॉर्ड जल स्तर का कारण बताया. उन्होंने पूरे ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में तेज बारिश को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा, बाढ़ के मैदानों पर अतिक्रमण के कारण प्रभाव बढ़ सकता है.
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- साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स, पीपल (SANDRP) के एसोसिएट कोऑर्डिनेटर भीम सिंह रावत ने कहा कि यमुना के जल स्तर में जबरदस्त बढ़ोत्तरी का एक प्रमुख कारण गाद जमना है, जिसके कारण नदी का तल ऊंचा हो गया है.
- तल की सफाई नहीं हुई है. यमुना में वजीराबाद से ओखला तक 22 किलोमीटर के दायरे में 20 से ज्यादा पुल पानी के बहाव को बाधित करते हैं, जिससे नदी के तल में गाद जमा हो जाती है और रेतीले चट्टानों का निर्माण हो जाता है.
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- ये रेत तल सिग्नेचर ब्रिज के नीचे, आईटीओ बैराज और यमुना बैंक के बीच, आईएसबीटी कश्मीरी गेट और पुराने रेलवे ब्रिज के बीच, पुराने रेलवे ब्रिज और गीता कॉलोनी ब्रिज के बीच हैं. ऊपरी जल ग्रहण क्षेत्रों में लगातार बारिश के कारण नदी में जलस्तर बढ़ा है.
- 1978 में मानसून के मौसम यानी सितंबर में नदी 207.49 मीटर की ऊंचाई तक पहुंच गई थी और ताजेवाला बैराज से 7 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा गया था. इस बार मंगलवार को अधिकतम बहाव 3.59 लाख क्यूसेक रहा. जल स्तर में तेज वृद्धि के भी कारण हैं.
- चूंकि, ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में लगातार बारिश हो रही है. दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में भारी वर्षा से मिट्टी भी संतृप्त हो गई है. ज्यादा-तेज बारिश होना, बेतरतीब ढंग से शहरीकरण और प्राकृतिक जल निकासी चैनलों और शहरी झीलों पर अतिक्रमण भी शहर के भीतर बाढ़ की घटनाओं के लिए चिंताजनक बन गए हैं.
- शहरी जल निकायों का अनियंत्रित भराव भी एक बड़ा मुद्दा बन गया है. निकासी के उचित उपाय नहीं किए गए हैं. पूरे शहर में अवैध कॉलोनियों की भरमार हो गई है, जिसके कारण प्राकृतिक जल निकासी का सिस्टम गड़बड़ा गया है. यह शहर की भलाई के लिए भी गंभीर खतरा है और शहरी बाढ़ को भी खुला न्यौता देता है.
दिल्ली में कितने लोग बाढ़ से प्रभावित हैं?
- दिल्ली में यमुना नदी के आसपास निचले इलाके में करीब 41,000 लोग रहते हैं. ये इलाका बाढ़ को लेकर संवेदनशील माना जाता है. यहां दिल्ली विकास प्राधिकरण, राजस्व विभाग और निजी व्यक्तियों की जमीन है. उसके बावजूद नदी के बाढ़ क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में अतिक्रमण हुआ है.
- सोमवार रात नदी 206 मीटर को पार कर गई, जिससे बाढ़ संभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है.
- शहर के उत्तर-पूर्व, पूर्व, मध्य और दक्षिण-पूर्व जिले बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित हैं. पूर्वी दिल्ली को बाढ़ को लेकर सबसे ज्यादा संवेदनशील माना गया है.
- एमसीडी ने बताया कि निचले इलाकों में रहने वाले 16,500 से ज्यादा लोगों को ऊंचाई वाले सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है. जागरूकता, निकासी और बचाव कार्य के लिए 45 नावें तैनात की गई हैं. कैंप में राहत के लिए गैर सरकारी संगठनों को लगाया गया है.
दिल्ली में अभी कितना पानी डिस्चार्ज हो रहा?
- मंगलवार सुबह 11 बजे तक हथिनीकुंड बैराज पर 3,59,760 (3.59 लाख) क्यूसेक बहाव दर से पानी छोड़ा जा रहा है. ये पिछले तीन दिनों में सबसे ज्यादा मात्रा है. बुधवार को यह 1 लाख क्यूसेक से 3 लाख क्यूसेक के बीच रहा.
- आम तौर पर बैराज पर बहाव दर 352 क्यूसेक है, लेकिन जलग्रहण क्षेत्रों में भारी वर्षा से डिस्चार्ज बढ़ जाता है. एक क्यूसेक 28.32 लीटर प्रति सेकंड के बराबर होता है.
- नदी के उफान को कम करने के लिए ओखला बैराज के सभी गेट खोल दिए गए हैं.
- पिछले साल सितंबर में यमुना ने दो बार खतरे के निशान को पार किया था और जलस्तर 206.38 मीटर तक पहुंच गया था. 2019 में 18-19 अगस्त को नदी में 8.28 लाख क्यूसेक के बहाव से पानी छोड़ा गया था और जल स्तर 206.6 मीटर तक बढ़ गया था. इसी तरह 2013 में 207.32 मीटर जल स्तर पहुंच गया था.
- सड़क और रेल यातायात के लिए पुराने रेलवे पुल को बंद कर दिया गया. बुधवार को दोपहर एक बजे तक जलस्तर रिकॉर्ड 207.49 मीटर और रात 10 बजे तक 208 मीटर के निशान को पार कर गया.
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दिल्ली में मौसम का क्या अलर्ट?
- मौसम विभाग ने अगले दो दिनों में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिससे नदियों में जल स्तर और बढ़ने की चिंता बढ़ गई है.
- जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में शनिवार से तीन दिनों तक भारी बारिश दर्ज की गई. जिससे नदियां, खाड़ियां और नाले उफान पर आ गए. बुनियादी ढांचे को बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचा है और जरूरी सेवाएं बाधित हो गईं हैं.
- रविवार सुबह 8.30 बजे तक 24 घंटे की अवधि में दिल्ली में जबरदस्त बारिश हुई. 1982 के बाद से जुलाई में एक दिन में सबसे ज्यादा बारिश (153 मिमी) रिकॉर्ड की गई.
- अगले 24 घंटे में शहर में 107 मिमी अतिरिक्त बारिश हुई, जिससे स्थिति और खराब हो गई. भारी बारिश ने सड़कों पर बहाव ला दिया. पार्कों में पानी भर गया. बाजार भी जलमग्न हो गए.
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कहां-कहां से गुजरती है यमुना?
- यमुना नदी के जलग्रहण क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली के कुछ हिस्से शामिल हैं.
- करीब 5.7 करोड़ लोग यमुना के पानी पर निर्भर हैं. करीब 10,000 क्यूसिक मीटर का सालाना प्रवाह होता है. 4,400 सीयूएम (96 प्रतिशत सिंचाई होती है) का उपयोग होता है.
- दिल्ली की जलापूर्ति का 70 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा यमुना नदी से ही पूरा होता है. अभी बाढ़ आने से यमुना बाजार के 32 घाट की पहली मंजिल पूरी तरह से डूब गई है.
- यमुना के निचले इलाके में बसे बेला गांव, राजघाट के पास कंचनपुरी और दूसरी बस्तियों में रहने वाले लोग भी बाढ़ की चपेट में हैं. कश्मीरी गेट के मोंस्टी मार्केट, रिंग रोड, यमुना घाट, यमुना बाजार इलाके में बाढ़ का पानी पहुंच गया है.
- निचले इलाके की गलियों में घटनों तक पानी बह रहा है. कश्मीरी गेट में गौशाला में यमुना नदी का पानी घुस गया है. आईटीओ पर छठ घाट पानी में पूरी तरह डूब गया है.
- यमुना नदी से सटे इलाके बहुत संवेदनशील हैं. इन इलाकों में करीब 41 हजार लोग रहते हैं.
- नोएडा के सेक्टर 168 में यमुना नदी का पानी गौशाला और आसपास के जंगल में पहुंच गया है.
- नोएडा मे यमुना किनारे भी बाढ़ आई है. करीब 10 फीट तक पानी भर गया है. सेक्टर 135 में यमुना किनारे इलाका जलमग्न हो गया है. बाढ़ में फंसे बच्चे, औरतें और बुजुर्गों तक बुधवार शाम से भोजन नहीं पहुंच सका. गुरुवार को इन बच्चों और महिलाओं को रेस्क्यू किया गया है.
हथिनी बैराज की क्या है कहानी...
- दिल्ली में मानसूनी बारिश के बीच हथिनीकुंड बैराज भी चर्चा में है. दरअसल, इस बैराज से आने वाला पानी ही दिल्ली के लिए खतरा बन जाता है और बाढ़ आ जाती है.
- वैसे तो यह बैराज दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर दूर है. लेकिन, इस बैराज से दिल्ली तक पानी पहुंचने में ज्यादा देर नहीं लगती है. पहले यमुनानगर से दिल्ली तक बैराज का पानी पहुंचने में तीन दिन लगते थे. एक्सपर्ट का कहना है कि अब इससे कम समय लगता है.
- हरियाणा के यमुनानगर जिले में हथिनीकुंड बैराज साल 1996 में तैयार हुआ था. बैराज की लंबाई 360 मीटर है. अब गेटों की संख्या बढ़कर 18 हो गई है.
- बैराज की क्षमता 10 लाख क्यूसेक पानी के भराव की है. यह बैराज यमुना नदी के पानी का बंटवारा भी करता है. दिल्ली में 60 प्रतिशत पानी की आपूर्ति हथिनीकुंड बैराज से होती है.
- बैराज से दिल्ली के बीच एक तरफ यमुनानगर, करनाल और पानीपत है. दूसरी तरफ यूपी में सहारनपुर, शामली और बागपत का कुछ हिस्सा आता है. उसके बाद पानी दिल्ली में यमुना में पहुंचता है.
- यमुना नदी पर इस बैराज का सिंचाई के उद्देश्य से निर्माण किया गया था. यह बैराज हिमाचल में ऊपरी इलाकों से आने वाले पानी को कंट्रोल करता है.
-बैराज का पानी सिंचाई में उपयोग होता है. आसपास के गांवों को बाढ़ के खतरे से बचाता है.
- जब भी बैराज में पानी बढ़ता है तो इसे छोड़ना पड़ता है. मानसूनी बारिश के दौरान बैराज से लाखों क्यूसेक पानी को छोड़ा जाता है और यह पानी दिल्ली में बाढ़ का खतरा बढ़ा देता है.
- साल 1999 में इस बैराज का उद्घाटन हुआ और तीन साल बाद 2002 से बैराज ने काम करना शुरू किया. यह बैराज जिस जगह बना है, उसका नाम हथिनी कुंड है. इसलिए बैराज को यही नाम दिया गया.
- 9 जुलाई को हथिनी कुंड बैराज से यमुना नदी में 1,05,453 क्यूसेक पानी छोड़े जाने का रिकॉर्ड है.
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अभी क्या कर रहा दिल्ली का प्रशासन?
- सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग ने कहा, पुराने रेलवे पुल को यातायात के लिए बंद कर दिया गया है. अतिरिक्त पानी छोड़ने और लंबे समय तक उच्च जल स्तर को रोकने के लिए ओखला बैराज के सभी गेट खोल दिए गए हैं. सभी संबंधित जिला मजिस्ट्रेट और उनकी सेक्टर समितियां अलर्ट मोड पर हैं.
- बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए 16 कंट्रोल रूम बनाए गए हैं. सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, दिल्ली पुलिस, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड और अन्य विभागों के साथ काम में जुटे हैं.
- दिल्ली के 6 जिलों में करीब 2700 टेंट बनाए गए हैं. इन टेंटों में रहने के लिए अभी तक 27,000 लोगों रजिस्ट्रेशन किया गया है.
- इस समय राजघाट डीटीसी डिपो में बने राहत शिविरों में 126 लोग रह रहे हैं. ईस्ट डिस्ट्रिक्ट में सबसे ज्यादा लगभग 1700 टेंट, तो नॉर्थ ईस्ट और साउथ में 150 से 200 टेंट लगाए गए हैं. राहत और बचाव कार्य के लिए 45 नावों को तैनात किया गया है.
- अक्षरधाम, गुलमोहर पार्क, चिल्ला से एनएच-24 तक, डीएनडी से निजामुद्दीन फ्लाइओवर और यमुना बैंक से आईटीओ पुल तक बने राहत शिविरों में भी लोगों को शिफ्ट किया गया है.
- नोएडा-दिल्ली लिंक रोड पर भी राहत शिविर लगाए गए हैं. खादर की झुग्गियों से करीब 27 हजार लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट कर दिया गया है.
- बदरपुर विधानसभा क्षेत्र के जैतपुर पार्ट 2 की विश्वकर्मा कॉलोनी में लगातार पानी बढ़ने का सिलसिला जारी है. यहां रहने वाले लोगों को स्कूल, मंदिर और मदरसे में भेजा गया. वहां रहने की व्यवस्था की गई है. करीब 5000 लोग प्रभावित हुए हैं.
- दिल्ली के जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सरकार स्थिति से निपटने के लिए तैयार है. हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं. हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं.
- दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है और अनुरोध किया कि हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से पानी धीरे-धीरे छोड़ा जाए. उन्होंने आगे कहा, दिल्ली कुछ हफ्तों में जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए तैयार है. ऐसे में देश की राजधानी में बाढ़ की खबर से दुनिया में अच्छा संदेश नहीं जाएगा. हमें मिलकर दिल्ली के लोगों को इस स्थिति से बचाना होगा.
- विधायक अजय महावर ने बताया कि पूर्वोत्तर दिल्ली के गांधी मेंडू और उस्मानपुर गांवों में बाढ़ का पानी चार फीट से ज्यादा बढ़ गया है.
- दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने कहा, यमुना से गाद निकालने का काम नियमित रूप से किया जाना चाहिए, लेकिन सफाई नहीं होती है, जिसकी वजह से जलभराव होता है. प्रकृति नहीं बताती, हमें पहले से ही इसके लिए तैयार रहना होगा.