यमुना किनारे टॉयलेट न होने की वजह से हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार नोटिस देकर पूछा है कि यमुना के किनारे स्लम एरिया में टॉयलेट अब तक क्यों नहीं बनाए गए हैं.
एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका में कहा गया है कि हजारों करोड़ स्वच्छ भारत पर खर्च होने के बावजूद राजधानी के स्लम एरिया में टॉयलेट की कमी है. लिहाजा, इतना पैसा खर्च होने के बाद भी लोगों को खुले में शौच करने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ रहा है. हाईकोर्ट ने 28 अगस्त तक दोनों सरकारों को इस पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.
केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार दोनों ही अपने स्वच्छता अभियान को लेकर अब तक बड़े-बड़े दावे करती रही है. केंद्र सरकार ने तो इस पर काफी बड़ी रकम भी अब तक खर्च कर दी है. लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई इस याचिका में इन्हीं दावों की पोल खोल दी गई है.
जनहित याचिका में यह भी सवाल उठाया गया है स्लम इलाकों में पहले ही गंदगी का अंबार रहता है. ऐसे में टॉयलेट्स न होने से वहां रहने वाले लोगों और बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां और बढ़ने का खतरा बना रहता है. टॉयलेट जैसी सुविधा देना सरकारों के लिए अनिवार्य है क्योंकि यह मूलभूत सुविधाएं हैं जो हर इलाके में रहने वाले लोगों के लिए सरकारों को देनी जरूरी है.
देश की राजधानी दिल्ली में भी इस तरह की सुविधाएं केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर अगर नहीं दे पा रहे हैं. तो छोटे-छोटे गांव और कस्बों की हालत कितनी बत्तर होगी. इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं.