दिल्ली में एक 22 साल के एक एमबीए छात्र को 1.62 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलेगा. 2010 में लापरवाही से चलाई जा रही एक कार की चपेट में आकर इसका शरीर लकवाग्रस्त हो गया. इसका इलाज चल रहा है लेकिन वो पूरी तरह से लकवाग्रस्त हो चुका है और शारीरिक तौर पर पूरी तरह से निष्क्रिय हो चुका है. मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) के आदेश पर इस लड़के को यह मुआवजा दिया जा रहा है.
एमएसीटी ने यह भी कहा कि पीड़ित युवक को मुआवजे के तौर पर कितनी ही बड़ी रकम क्यों न दे दी जाए, वह पहले की तरह अपनी जिंदगी नहीं जी सकता. एमएसीटी ने पीड़ित युवक को टक्कर मारने वाली कार का बीमा करने वाली चोल मंडलम मैसर्स जनरल इंश्योरेंस कंपनी को निर्देश दिया कि वह एमबीए की पढ़ाई करना चाह रहे पलक शर्मा को 1,62,93,344 रुपये मुआवजे के तौर पर दे. पलक जब हादसे का शिकार हुआ तो उस वक्त वह योग की कक्षा में शामिल होने जा रहा था. हादसे के बाद उसका शरीर स्थायी तौर पर 100 फीसदी शक्तिहीन हो गया.
एमएसीटी की पीठासीन अधिकारी बरखा गुप्ता ने कहा, ‘चाहे कितना भी धन क्यों न दे दिया जाए, याचिकाकर्ता की पहले जैसी जिदंगी वापस नहीं लाई जा सकती. बहरहाल, प्रयास किया जा सकता है और इतना मुआवजा दिया जा सकता है जिससे उसके कष्ट कम हो सकें.’ पलक के पिता अजय शर्मा की तरफ से दाखिल याचिका के मुताबिक, 12 मार्च 2010 की सुबह पीड़ित अपने एक दोस्त के साथ स्कूटर से केशवपुरम स्थित महर्षि दयानंद पार्क की तरफ जा रहा था और उसी दौरान लापरवाही से चलाई जा रही एक इनोवा कार ने उसे टक्कर मार दी.
इस हादसे की चपेट में आने के बाद पलक को अस्पताल ने 100 फीसदी लकवाग्रस्त घोषित कर दिया.