दिल्ली की स्थिति फिलहाल एक गैस चैम्बर जैसी हो गई है. वायु प्रदूषण ने राजधानी के ढाई करोड़ लोगों के जीवन में मुश्किलें ला खड़ी की हैं. संविधान के अनुसार वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन वर्तमान में सरकार की दृष्टि में यह जिम्मेदारी जनता पर डाल दी गई है. इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर बेसिक बदलाव की आवश्यकता है. सरकारों को चाहिए कि वे वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाएं और जनता के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करें.