एशियाई शेरों के एकमात्र आश्रय गुजरात के गिर वन अभ्यारण में शेरों के मरने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. गिर में पिछले 19 दिनों में 21 शेरों की मौत हो चुकी है.
शेरों की ये मौतें अमरेली जिल में गिर पूर्व के धारी इलाके स्थित डलखानिया रेंज और जसाधार रेंज में हुई है. वनविभाग ने बीमार शेरों को रेस्क्यू कर जूनागढ़ के जसाधार ऐनिमल सेंटर में इलाज के लिए भी भेजा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 7 शेर मृत हालत में जंगल में मिले थे, जबकि 14 शेरों की मौत ट्रीटमेंट के दौरान हो गई.
मृत शेरों के नमूनों को पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलोजी (एनआईवी) भेजा गया है, जहां से चार शेरों की रिपोर्ट आ चुकी है. एनआईवी ने चार शेरों में वायरस और छह में प्रोटोजोआ संबंधी संक्रमण पाया है. वहीं वनविभाग देश के अलग-अलग चिड़ियाघरों से विशेषज्ञों की भी राय ले रहा है. दूसरी तरफ इस संक्रमण से शेरों को बचाने के लिए अमेरिका से वैक्सीन भी मंगवाई गई है.
गौरतलब है कि, इससे पहले राज्य सरकार यह दावा कर रही थी कि इन शेरों की मौत की वजह उनके बीच हो रही वर्चस्व की लड़ाई है. हालांकि अब रिपोर्ट आने के बाद ये साफ हो गया है कि इस इलाके में कुछ ऐसे वायरस हैं जो शेरों की मौत की वजह बन रहे हैं.
अभ्यारण में संक्रमण की वजह से शेरों को 50 किमी दूर एनिमल सेंटर ले जाया जा रहा है. वहीं 21 शेरों की मौत को लेकर पशु एवं पर्यावरण प्रेमी काफी नाराज हैं. गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी का कहना है कि शेरों की मौत बेहद गंभीर मुद्दा है और इसकी जांच के लिए दिल्ली और पुणे से चिकित्सकों की टीम आई है. उन्होंने कहा कि शेरों को बचाने के लिए राज्य सरकार हरसंभव कोशिश कर रही है. वहीं इस मामले में संबंधित अधिकरियों की भी जांच जारी है. जिसकी रिपोर्ट आने के बाद उचित कदम उठाया जाएगा.