अहमदाबाद में एक शख्स को फर्जी जाति प्रमाण के आधार पर नौकरी पाने का दोषी पाए जाने के बाद उसे नौकरी से निकाल दिया गया है. आरोपी का नाम ईश्वर वविस्कर है और वह नाडियाड नगरपालिका में पिछले 24 साल से नौकरी करता था.
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के आधार पर ईश्वर को न सिर्फ नौकरी से निकाल दिया गया, बल्कि उसे 24 वर्षों की नौकरी के दौरान मिले सभी लाभ वापस करने के लिए कहा गया है. इसके बदले में उसे 25 लाख रुपये लौटाने के लिए कहा गया है.
इस फर्जी मामले की पोल तब खुली जब ईश्वर के अनुसूचित जाति के दावे की जानकारी एक शख्स ने आरटीआई से मांगी. आरटीआई से पता चला कि उसे फर्जी सर्टिफिकेट के चलते 1991 में जूनियर कंपाउंडर की नौकरी मिली थी. ईश्वर जिस समुदाय से आता है वह गुजरात में अनुसूचित जाति में नहीं आती है.
ईश्वर ने साल 2013 में एक स्थानीय नेता समेत नौ कर्मचारियों पर क्रूरता के आरोप लगाए थे. कोर्ट ने उसकी शिकायत पर जांच के आदेश दे दिए थे. इनमे से एक आरोपी मौलिक श्रीमाली ने आरटीआई के तहत ईश्वर की जानकारी हासिल की. कई विभागों से मिली जानकारी से पता चला कि ईश्वर ने ये नौकरी फर्जी जाति प्रमाण से हासिल की थी. यह जानकारी राज्य सरकार को भेज दी गई है.
इस खुलासे के बाद प्रमुख सचिव एमएस दागुर ने ईश्वर को नौकरी से बर्खास्त करते हुए नौकरी के दौरान दिए गए पैसों की वसूली करने का फैसला किया है.