गुजरात के गांधीनगर में 60 वर्षीय बुजुर्ग दंपति ने आईवीएफ (IVF) ट्रीटमेंट से बच्चे को जन्म दिया है. कोरोना की दूसरी लहर में गांधीनगर की भगोरा दंपति ने अपने 26 साल के बेटे को गंवा दिया था. माता-पिता उसकी शादी के लिए लड़की ढूंढ रहे थे, लेकिन जवान बेटे की असमय मौत ने पूरे परिवार को झकझोड़ दिया था. माता-पिता को इस उम्र में जीने का सहारा चाहिए था. ऐसे में दोनों बेटे की मौत के 6 महीने बाद डॉक्टर के पास IVF ट्रीटमेंट के लिए पहुंचे.
गांधीनगर के डॉक्टर मेहुल दामानी का कहना है कि जब वो ट्रीटमेंट के लिए उनके पास पहुंचे थे, तब बुजुर्ग दंपति काफी हताश थे. जीवन जीने की उम्मीद ढूंढ रहे थे. वो आईवीएफ ट्रीटमेंट के लिए तैयार हुए तो, उनका इलाज शुरू किया गया. पहली बार में ही रेखा बेन गर्भवती रह गईं. मगनभाई भगोरा जब अपनी सेवा से रिटायर्ड हुए, ठीक उसके दूसरे दिन यानी 1 जुलाई को उनके घर में बेटा पैदा हुआ. मगन भाई मानते हैं कि उनके जीवन में एक बार फिर खुशियां लौट आई हैं. अब कुदरत के जरिए हमारा बेटा हमसे छीने जाने का दुख कम हो गया.
बेटे की मौत के बाद परेशान मगन भाई और उनकी पत्नी रेखा बेन को उनके एक शिक्षक मित्र ने आईवीएफ ट्रीटमेंट के जरिए संतान पैदा करने की सलाह दी थी. इसके बाद अहमदाबाद में इलाज शुरू हुआ. डॉक्टरों का कहना है कि 60 की उम्र में अमूमन कुछ मुश्किलें जरूर होती हैं, लेकिन रेखा बेन को आईवीएफ से किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई.
डॉक्टर मेहुल दामानी का कहना है कि आईवीएफ कानून के तहत 60 की उम्र के बाद महिला आईवीएफ नहीं करवा सकती हैं. लेकिन इन्हें जब गर्भ रहा और अब बच्चा पैदा हुआ तो कानूनी बाधा इसमें नहीं आई. नवजात का वजन पौने तीन किलो था और वह पूरी तरह से स्वस्थ था. बच्चे की किलकारी भगोरा दंपति के जीवन में नया सवेरा लेकर आई है. उन्हें अपने खोए हुए बेटे को वापस पाने का अहसास हो रहा था. साथ ही वो दोबारा से बच्चे को पाने से काफी खुश हैं.