गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चुनाव प्रचार को आध्यात्मिक नेता स्वामी विवेकानंद पर केंद्रित रखकर दूसरे समुदायों तक पहुंच बनाने के साथ ही अपनी हिन्दुत्व छवि को बरकरार रखने की भी कोशिश कर रहे हैं, ताकि वह खुद को राष्ट्रीय स्तर पर अधिक स्वीकार्य बना सकें.
हालांकि, विपक्ष ने इसे राजनीतिक लाभ हासिल करने का हथकंडा करार दिया है. मोदी ने एक महीने तक चलने वाली अपनी राजनीतिक यात्रा का नाम स्वामी विवेकानंद युवा विकास यात्रा रखा है और वह समूचे राज्य में विवेकानंद युवा सम्मेलनों को संबोधित कर रहे हैं. वह रोजाना नियमित तौर पर अपने कार्य का विवरण अपने ट्विटर एकाउंट पर दे रहे हैं.
उनकी इस नीति ने उनके आलोचकों को चकरा कर रख दिया है. उनके विरोधी कह रहे हैं कि मोदी स्वामी विवेकानंद के नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं जो जीवनभर राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहे. इस संत द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन से जुड़े लोगों का खुद यह कहना है, ‘संतों की परंपरा के अनुसार देशभर में धर्मनिरपेक्ष छवि रखने वाले स्वामी विवेकानंद आधुनिक समय में हिन्दू धर्म के सबसे बड़े प्रचारक थे.’
उन्होंने कहा, ‘वह (विवेकानंद) जीवनभर यह कहकर राजनीति से दूर रहे कि वह कोई राजनीतिक नेता नहीं हैं.’ मोदी ने अपने यात्रा रथ के सामने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा रखी है. उन्होंने रथ में तब्दील बस पर भी स्वामी विवेकानंद की तस्वीरें छपवाई हैं.
यात्रा के दौरान मोदी अपने भाषणों में भारत को विश्व गुरु बनाने के स्वामी विवेकानंद के सपनों की अनुभूति कराते हैं और युवाओं से इस संत के मार्ग का अनुसरण करने को कहते हैं. भाजपा के एक नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘हम स्वामी विवेकानंद का सम्मान करते हैं और यही वजह है कि हमने उनके नाम पर यात्रा निकालने का फैसला किया है.
यह यात्रा हिंदुत्व में मोदी की आस्था का दर्शन कराने के साथ साथ इस बात को दर्शाती है कि हमारी सरकार किसी के तुष्टीकरण के लिए काम नहीं करती और यह सभी के विकास के लिए काम करती है.’
उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच टीम (एसआईटी) की ओर से 2002 के गुजरात दंगों में उन्हें क्लीन चिट दिए जाने के बाद मोदी ने करीब एक साल पहले सद्भावना मिशन की शुरूआत की थी. इसका उद्देश्य राज्य के अल्पसंख्यक समुदाय तक पहुंच कायम करना और छवि में बदलाव लाकर उसे ऐसा रूप देना था जो राष्ट्रीय स्तर पर भी सहज स्वीकार्य हो.
पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल और राज्य कांग्रेस के प्रमुख अर्जुन मोठवाडिया ने स्वामी विवेकानंद के नाम के इस्तेमाल के लिए मोदी की आलोचना की है. पटेल ने अपने ब्लॉग पर लिखा है कि हमेशा राजनीति से दूर रहने वाले एक महान संत को मोदी राजनीति में घसीट रहे हैं.
मोठवाडिया ने कहा कि पहले उन्होंने अपने राजनीतिक हित के लिए भगवान राम के नाम का इस्तेमाल किया और अब उसी स्वार्थ की पूर्ति के लिए स्वामी विवेकानंद का नाम इस्तेमाल कर रहे हैं.
मोदी ने अपने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा, ‘राजनीतिक दलों ने बिहार चुनावों में अपने प्रचार के दौरान ओसामा बिन लादेन के हमशक्ल का इस्तेमाल किया और हर कोई खामोश रहा. अब, जब मैं विवेकानंद के नाम पर रैली निकाल रहा हूं तो उन्हें क्या दिक्कत हो रही है.’ उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब आपको तय करना है कि आपको देश के लिए लादेन चाहिए या स्वामी विवेकानंद.