वर्ष 2002 के गुजरात दंगे के नरोदा पाटिया मामले में बुधवार को विशेष निचली अदालत ने 32 लोगों को दोषी करार दिया है. साथ ही 29 लोगों को बरी कर दिया गया है. इस मामले में बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी को भी दोषी करार दिया गया है. अदालत ने BJP विधायक माया कोडनानी को भी दोषी ठहराया है.
गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान नरोदा पाटिया में एक ही समुदाय के 97 लोगों की हत्या कर दी गयी थी.
इस मामले में मुख्य आरोपियों में नरेंद्र मोदी सरकार की पूर्व मंत्री और नरोदा निर्वाचन क्षेत्र की विधायक माया कोडनानी, पूर्व विहिप नेता बाबू बजरंगी, स्थानीय भाजपा नेता बिपिन पांचाल, किशन कोरानी, अशोक सिंधी और वकील राजू चौमाल शामिल हैं.
अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश ज्योत्सना याज्ञनिक ने 30 जून को फैसला सुनाने का कार्यक्रम स्थगित करते हुए इसके लिए 29 अगस्त की तारीख निर्धारित की थी. इस मामले में 61 आरोपी थे. इस मामले में अखिल देसाई और गौरांग व्यास सरकारी अभियोजक हैं.
गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में हुए अग्निकांड के अगले ही दिन विश्व हिंदू परिषद के बंद दौरान नरोदा पटिया में बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए थे और उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमला किया. इस वारदात में 97 व्यक्ति मारे गए थे जबकि 33 अन्य घायल हुए थे. नरोदा पटिया कांड की सुनवाई अगस्त, 2009 में शुरू हुई थी और 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय हुए थे.
सुनवाई के दौरान ही एक आरोपी विजय शेट्टी की मृत्यु हो गयी थी। इस मामले में 327 लोगों की गवाही हुई है. गुजरात पुलिस ने शुरू में इस मामले में 46 लोगों को गिरफ्तार किया था. लेकिन उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल को यह मामला सौंपे जाने के बाद एजेंसी ने 24 और लोगों को गिरफ्तार किया था. इस तरह गिरफ्तार व्यक्तियों की संख्या 70 पहुंच गयी थी.
अदालत में आरोपियों पर अभियोग निर्धारित होने और मुकदमे की सुनवाई शुरू होने से पहले ही इस मामले के छह आरोपियों की मृत्यु हो गयी जबकि मोहन नेपाली और तेजस पाठक जमानत पर छूटने के बाद फरार हो गए.