गोधरा में फरवरी, 2002 में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में अग्निकांड की घटना के बाद नरौदा पटिया में हुए सांप्रदायिक दंगे के मामले में दोषी हराए गए 32 अभियुक्तों को विशेष अदालत 31 अगस्त को सजा सुनाएगी.
इस मुकदमे से जुड़े एक वकील ने बताया कि सभी पक्षों को सुनने के बाद विशेष अदालत की न्यायाधीश ज्योत्सना याज्ञनिक ने कहा कि दोषियों की सजा के बारे में 31 अगस्त को फैसला सुनाया जायेगा.
अभियोजन पक्ष ने नरौदा पटिया कांड में दोषी ठहराए गए सभी अभियुक्तों को मौत की सजा देने की मांग की है.
इससे पहले दिन में, अदालत ने नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री रहीं तथा भाजपा की विधायक माया कोडनानी और बजरंग दल के एक नेता बाबू बजरंगी समेत 32 अभियुक्तों को 2002 के नरोदा पटिया दंगा मामले में दोषी करार दिया. इन दंगों में अल्पसंख्यक समुदाय के 97 लोग मारे गए थे.
अतिरिक्त मुख्य न्यायाधीश ज्योत्सना याज्ञनिक ने गोधरा दंगा कांड के बाद भड़के इन दंगों में कोडनानी तथा बाबू बजरंगी को भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (बी) आपराधिक साजिश तथा धारा 302 के तहत दोषी ठहराया है. अदालत ने इस मामले में 29 अन्य लोगों को बरी कर दिया.
अभियुक्तों की सजा के सवाल पर सुनवाई के दौरान विशेष सरकारी वकील अखिल देसाई ने दोषियों को फांसी की सजा देने का अनुरोध किया. उन्होंने तर्क दिया कि इस अदालत ने हत्या और आपराधिक साजिश के पहलुओं को बरकरार रखा है जिसकी वजह से यह मामला ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ की श्रेणी में रखे जाने के लायक है और दोषियों को मौत की सजा दी जानी चाहिए.
देसाई ने कहा कि अगर अदालत नरम रुख अपनाना चाहती है तो अभियुक्तों को कम से कम बीस बीस साल की न्यूनतम सजा दी जानी चाहिए.
दूसरी ओर, बचाव पक्ष के वकील निरंजन टिकानी ने इस तर्क का विरोध किया. उन्होंने अदालत से दोषियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि और आर्थिक स्थिति को देखते हुए उनके प्रति उदार रवैया अपनाने का अनुरोध किया.
टिकानी ने कोडनानी को मौत की सजा दिए जाने की मांग का विरोध किया. उन्होंने कहा कि कोडनानी के पति का हाल ही में ऑपरेशन हुआ है और उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है. उनका पुत्र भी अमेरिका में पढ़ रहा है इसलिए अदालत को इस पहलू पर विचार करना चाहिए.