गुजरात के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा का जेल से बाहर आना तय हो गया है. इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें जमानत दे दी है. कोर्ट ने एडिशनल डीजीपी पीपी पांडे को भी इस केस में जमानत पर रिहा कर दिया है.
डीजी वंजारा को पहले सोहराबुद्दीन, फिर तुलसी प्रजापति और फिर इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर केस में आरोपी बनाया गया था. डीजी वंजारा को अहमदाबाद की विशेष सीबीआई कोर्ट ने गुजरात में न घुसने की ताकीद और भारत न छोड़ने की शर्त के साथ 50-50 हजार रुपये के दो अलग-अलग बॉन्ड पर जमानत दी है.
कोर्ट ने यह भी कहा है कि डीजी वनजारा 24 अप्रैल 2007 से जेल में बंद हैं और इस केस के सभी गवाह पुलिस अधिकारी होने कि वजह से उन्हें डराया धमकाया नहीं जा सकता. इसी आधार पर गुरुवार को कोर्ट ने वंजारा को रेगुलर बेल दे दी.
वंजारा के वकील वीडी गज्जर ने अहमदाबाद में कहा, 'केस में चार्जशीट हो चुकी है. वह साढ़े सात साल से जेल में हैं. इस केस के जितने भी साक्षी हैं, वे सब पुलिस अधिकारी हैं. इसलिये उन्हें डराने धमकाने का सवाल ही नहीं आता है. गुजरात से बाहर रहने की शर्त पर जमानत दी गई है. मुंबई कोर्ट पहले ही मुंबई न छोड़ने का आदेश दे चुका है.'
गौरतलब है कि डीजी वंजारा को स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम ने 2007 में सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर मामले में गिरफ्तार किया था. बाद में मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी. हालांकि बाद में तुलसी प्रजापति एनकाउंटर को भी सोहराबुद्दीन के साथ जोड़कर सीबीआई ने उसे फर्जी एनकाउंटर घोषित किया था. साथ ही गुजरात में हुए इशरत जहां और तीन युवकों के एनकाउंटर को भी फर्जी बताते हुए जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी. हालांकि सोहराबुद्दीन और तुलसी प्रजापति केस में मुंबई की अदालत उन्हें पहले ही जमानत दे चुकी थी. अब उन्हें इशरत केस में भी जमानत मिल गई है.
सीबीआई कोर्ट ने दूसरे आईपीएस अधिकारी एडिशनल डीजीपी पीपी पांडे को भी जमानत पर रिहा कर दिया है. उन्हें भी 50 हजार रुपये के मुचलके और गुजरात न छोड़ने की शर्त पर रिहा किया गया. वहीं वंजारा अब मुंबई में ही रहेंगे. इसके अलावा वंजारा को हर शनिवार को कोर्ट में हाजिरी भी लगानी होगी.
कौन हैं डीजी वंजारा
डीजी वंजारा 1987 बैच के गुजरात काडर के आईपीएस अधिकारी हैं. गुजरात पुलिस में उनकी छवि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की रही है. वे पहले क्राइम ब्रांच में थे और बाद में गुजरात एंटी टैररिस्ट स्क्वाड (एटीएस) के मुखिया रहे. उसके बाद पाकिस्तान सीमा से सटी बॉर्डर रेंज के आईजी रहे.
वे 2002 से 2005 तक अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच के डिप्टी कमिश्नर ऑफ़ पुलिस थे. उनकी इस पोस्टिंग के दौरान करीब बीस लोगों का एनकाउंटर हुआ. बाद में सीबीआई जाँच में पता चला कि ये एनकाउंटर फर्जी थे. ये माना जाता रहा था कि वे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे करीबी पुलिस अधिकारी हैं.
वंजारा पर आठ लोगों की हत्या का आरोप है, जिनमें सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी कौसर बी, तुलसीराम प्रजापति, सादिक जमाल, इशरत और उसके साथ मारे गए तीन अन्य लोग शामिल हैं. इनके एनकाउंटर के बाद क्राइम ब्रांच ने सफाई दी थी कि ये सभी पाकिस्तानी आतंकी थे और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की जान लेना चाहते थे. बाद में कोर्ट के आदेश पर सीबीआई जांच हुई, तो साबित हुआ कि ये सभी एनकाउंटर फर्जी थे.