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नोटबंदी का सूरत के कपड़ा कारोबार पर असर, मजदूरों का पलायन शुरू

सरकार की नोटबंदी का असर अब देश के आम लोगों के अलावा छोटे और बड़े उद्योगों पर भी साफ दिखने लगा है. एशिया का टेक्सटाइल हब कहे जाने वाले गुजरात के सूरत का कपड़ा कारोबार ठप्प हो गया है.

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नोटबंदी से सूरत के कपड़ा व्यवसाय पर असर,
नोटबंदी से सूरत के कपड़ा व्यवसाय पर असर,

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सरकार की नोटबंदी का असर अब देश के आम लोगों के अलावा छोटे और बड़े उद्योगों पर भी साफ दिखने लगा है. एशिया का टेक्सटाइल हब कहे जाने वाले गुजरात के सूरत का कपड़ा कारोबार ठप्प हो गया है.

प्रतिदिन लाखों मीटर कपड़ा का उत्पादन करने कपड़ा कारोबारियों का हाल इन दिनों बुरा है. सूरत के पांडेसरा इलाके में पूरे साल चलने वाले कपड़ा मिल में एक भी कर्मचारी काम नहीं कर रहे हैं, क्योंकि नोटबंदी के बाद से यह मिल बंद पड़ी है. मिल में डाइंग और प्रिंटिंग होने आए कच्चे कपड़े के ढेर लगे हुए हैं.

ऐसा नजारा सिर्फ एक कपड़ा मिल का नहीं है बल्कि दक्षिण गुजरात में चलने वाले 400-500 मिल का अमूमन यही हाल है. साउथ गुजरात टेक्सटाइल एसोशिएसन के प्रेसिडेंट जीतू भाई वखारिया के मुताबिक प्रतिदिन तकरीबन चार करोड़ मीटर कपड़े का प्रोडक्शन सिमट कर 1 करोड़ मीटर पर आ गया है. नतीजन रोजाना 75 से 100 करोड़ रुपये का नुकसान पूरे कपड़ा बाजार में हो रहा है.

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सिर्फ इतना ही नहीं, यहां काम करने वाले लाखों कर्मचारी शहर छोड़ अपने गांवों की ओर पलायन कर रहे हैं. सूरत के रेलवे स्टेशन पर दिल्ली- मुम्बई से आने वाले हजारों लोग ट्रेन की जरिए सफर करते हैं. लेकिन इन दिनों इस रेलवे स्टेशन से जाने वाले यात्रियों की संख्या में अचानक उछाल आ गया है. यहां लोग सूरत में मजदूरी या रोजगार की आशा में आते थे, वहीं अब सूरत में पिछले 15 दिन से कारोबार ठप्प होने की वजह से अपने गांव वापस जाने के लिए लोग ट्रेन के इंतजार में बेठै हैं.

देश में नोटबंदी लागू होने के बाद इन लोगों की कपड़ा उत्पादन करने वाली फैक्ट्रियां कुछ बंद हो गयी हैं तो कुछ बंद होने की कगार पर हैं. इसलिए मजबूरन ये लोग अपने गांव की तरफ पलायन कर रहे हैं.

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