शाहरुख खान की आगामी फिल्म 'रईस' 2017 में रिलीज से पहले कानूनी मुश्किल में फंस सकती है. गुजरात के गैंगस्टर रहे अब्दुल लतीफ के बेटे की याचिका पर अहमदाबाद के एक कोर्ट ने शाहरुख के प्रोडक्शन हाउस को नोटिस भेजा है. यह फिल्म लतीफ की जिंदगी पर ही आधारित है.
लतीफ के बेटे मुश्ताक अहमद शेख ने अपनी याचिका में लिखा है कि शाहरुख खान की फिल्म उनके पिता का नाम खराब कर रही है. यही नहीं, उन्होंने इस बाबत हर्जाने की मांग करते हुए 101 करोड़ की मानहानी का दावा किया है. मुश्ताक ने फिल्म की रिलीज और प्रमोशनल मटेरियल के जारी होने पर भी रोक की मांग की है. उनका कहना है कि फिल्म के दूसरे हिस्से में लतीफ को गलत तरीके से पेश किया गया है.
याचिका दायर करने वाले मुश्ताक का कहना है कि फिल्म की स्क्रिप्ट लिखे जाने के क्रम में कुछ लोगों ने उनके परिवार से संपर्क किया था. फिल्म के निर्माता इस बात का प्रचार भी कर रहे हैं कि फिल्म लतीफ की जिंदगी पर आधारित है. 'रईस' में शाहरुख खान के अलावा नवाजुद्दीन सिद्दकी और माहिरा खान प्रमुख भूमिका में है.
'हम इज्जतदार जिंदगी बसर कर रहे हैं'
मुश्ताक कहते हैं, 'मेरे पिता अब्दुल लतीफ को मरे कई साल हो चुके हैं. आज हमारा परिवार समाज में एक अच्छी और इज्जतदार जिंदगी बसर कर रहा है. ऐसे में एक बार फिर लोग मेरे पिता लतीफ की पुरानी जिंदगी के बारे में बात करने लगे हैं. इससे हमें समाज में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इतने साल बीत चुके हैं. आज मैं एक बिल्डर हूं. मेरे बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ते हैं. उन पर फिल्म बनाने की क्या जरूरत है.'
क्या है डॉन अब्दुल लतीफ की कहानी
अहमदाबाद के दरियापुर इलाके में रहने वाले अब्दुल लतीफ ने कालूपुर ओवरब्रिज के पास देशी शराब बेचने की शुरुआत कर अपराध की दुनिया में कदम रखा था. धीरे-धीरे उसने अंग्रेजी शराब बेचनी भी शुरू कर दी. इससे अच्छी कमाई कर लेने के बाद लतीफ ने शहर के कोट इलाके में रहने वाले बदमाशों को अपनी गैंग में शामिल किया और फिर हथियार सप्लाई करने वाले शरीफ खान से हाथ मिला लिया. इस तरह लतीफ शराब के साथ-साथ हथियारों की तस्करी करने लगा.
पूरे गुजरात में फैलाया नेटवर्क
कुछ ही वर्षों में लतीफ गैंगस्टर बन चुका था, लेकिन किसी भी गैंगवार में वह खुद कभी सामने नहीं रहा. लतीफ ने बड़ी चालाकी से कई छोटी-मोटी गैंग में फूट करवा दी और उनके साथियों को अपनी गैंग में मिला लिया. इस तरह अहमदाबाद के बाद उसका दबदबा पूरे गुजरात में फैल गया. लतीफ ने गुजरात में अवैध शराब बेचने का नेटवर्क इस कदर खड़ा कर लिया था कि कोई भी बुटलेगर (अवैध शराब बेचने वाला) बिना उसकी मर्जी से शराब नहीं बेच सकता था.
गरीबों का मसीहा बना लतीफ
शहर के मुस्लिम इलाकों में लतीफ गरीबों के लिए मसीहा माना जाने लगा था, क्योंकि वह बेरोजगार युवकों को अपनी गैंग में शामिल कर लेता था. इसकी वजह से उसे राजनीतिक समर्थन भी मिलने लगा था. बताया जाता है कि इसी बीच अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम भी वडोदरा में ड्रग्स का नेटवर्क खड़ा कर चुका था. एक बार दाऊद और लतीफ के बीच गैंगवार छिड़ गया. लतीफ के गुर्गों ने दाऊद को घेर लिया और दाऊद को वडोदरा से भागना पड़ा.
हत्या और अपहरण के करीब 80 मामले दर्ज
अब्दुल लतीफ गुजरात के 40 से भी अधिक हत्या के मामलों में आरोपी था. जबकि अपहरण के भी लगभग इतने ही मामलों में उसका नाम शामिल है. लतीफ को 1995 में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया. इसके बाद उसे साबरमती जेल अहमदाबाद में रखा गया. नवंबर 1997 में अब्दुल लतीफ ने एक बार भागने की कोशिश की, जिस दौरान गुजरात पुलिस से एनकाउंटर में वह मारा गया.
निर्देशक बोले- लतीफ से लेना देना नहीं
दूसरी ओर, लतीफ कि जिंदगी से जुड़ी इस फिल्म के बारे में जब मुश्ताक के जरीए फिल्म के निर्देशक राहुल ढोलकिया से बात कि गई, तो उन्होंने कहा कि 'रईस' का लतीफ की जिंदगी से कोई लेना-देना नहीं है.