scorecardresearch
 

Ahmedabad serial blast: जानिए कौन थे वे अफसर जिन्होंने धमाके की जांच की, IM के पूरे मॉड्यूल को क्रैक किया

2008 में अहमदाबाद ब्लास्ट केस की जांच में कई तेज-तर्रार पुलिस अफसर लगे थे. सभी पुलिस अफसर अपने-अपने फील्ड के मास्टर थे. सभी ने एक साथ साम करते हुए इंडियन मुज्जाहिद्दीन के पूरे मॉड्यूल को क्रैक कर डाला.

Advertisement
X
अहमदाबाद ब्लास्ट की जांच में शामिल अफसर.
अहमदाबाद ब्लास्ट की जांच में शामिल अफसर.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अबु बशर की गिरफ्तारी से इंडियन मुज्जाहिद्दीन का मॉड्यूल पकड़ा गया
  • पूरी जांच टीम में एक मात्र महिला अफसर उषा राडा थीं शामिल

26 जुलाई 2008 को 6 बजे से लेकर 6 बजकर 45 मिनट के बीच अहमदाबाद के अलग-अलग इलाके में हुए बम धमाके ने लोगों को दहला दिया था. धमाकों के बाद अहमदाबाद की दो बड़े अस्पताल में घायलों को शिफ्ट किया जा रहा था. इसी दौरान यहां अस्पताल में भी ब्लास्ट हो गया. सिलसिलेवार धमाके के बाद आंतकवादियों की मंशा साफ हो गई थी और वो लोगों में वैमन्यस्य की भावना पैदा करना चाहते थे. उधर, धमाके की जिम्मेदारी लेते हुए इंडियन मुज्जाहिद्दीन ने अलग-अलग चैनल को मेल किया और लिखा कि रोक सको तो रोक लो. 

Advertisement

चैनलों को मिले ईमेल और इस मॉड्यूल को तोड़ना और ब्लॉस्ट के पीछे जो लोग शामिल थे, उन्हें गिरफ्तार करना काफी मुश्किल था, क्योंकि देश के दूसरे हिस्से में इससे पहले हुए बम धमाके में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई थी. वैसे में इस ब्लास्ट केस में मोस्ट सीनियर आईपीएस अधिकारी आशीष भाटिया जो आज गुजरात के डीजीपी हैं, इन्हें आंतकी मामलों की जांच और ऑर्गेनाइज क्राइम के लिए जाना जाता है. आशीष भाटिया की ये आदत है कि वो हर छोटे से छोटे गुनहगार की जानकारी अपनी डायरी में रखते हैं. सिर्फ भारत के टेरेरिस्ट हमले नहीं बल्कि विदेश के भी आंतकी एक्टिविटी पर नजर रखते हैं. उन्हें ब्लास्ट की जांच टीम का नेतृत्व सौंपा दिया गया था. 

ब्लास्ट की जांच टीम में ये अफसर थे शामिल

अभय चुडासमा 
ब्लास्ट के वक्त अहमदाबाद क्राइम ब्रान्च के डिप्टी पुलिस कमिशनर क्राइम के तौर पर तैनात थे. अभय चुडासमा को ह्युमन इन्टेलिजेंस के लिए आज भी जाना जाता है. उनके सोर्स जैसा नेटवर्क कम ही पुलिस अधिकारियों के पास होता है. नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर क्राइम को डिटेक्ट करने में भी उनकी मास्टरी मानी जाती है. वैसे में इस ऑपरेशन के लिए ऑपरेशन टीम इन्ट्रोगेशन और इन्वेस्टीगेशन और टेक्निकल टीम के अधिकारियों को पंसद करने का जिम्मा चुडासमा को सौंपा गया. 

Advertisement

हिमांशु शुक्ला
2005 बैच के आईपीएस अधिकारी हिमांशु शुक्ला को ब्लास्ट के दौरान हिमंतनगर एसीपी के तौर पर तैनाती को 3 साल हुआ था. आशीष भाटिया ने खुद की टीम के लिए शुक्ला को पंसद किया. गुजरात के क्रिमिनल को खोजना और काम करने में अपनी समझ को लेकर उन्हें इस टीम में शामिल किया गया. 

गिरीश सिंघल 
गिरीश सिंघल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में काम करने के बाद गुजरात पुलिस का हिस्सा बने थे. अहमदाबाद की जियोग्राफी और गुनहगारों की मोडस ऑपरेन्डी से अच्छी तरह वाकिफ और लड़ने की हिम्मत रखने वाले गिरीश सिंघल को अभय चुडासमा ने अपनी टीम में पंसद किया था. 

राजेंद्र असारी 
क्रिमिनल के सभी डिटेल्स को रखना, दूसरे राज्यों में ऑपरेशन कर आरोपियों को गिरफ्तार करना और उन्हें किसी भी हालात में उनतक पहुंचाना ये उनकी खास बात थी. 

मयूर चावडा
यंग और जूनियर अफसर होने के बावजूद मौके को देख फैसला लेने वाले अधिकारी के तौर पर मयूर चावडा को जाना जाता है.  

उषा राडा
पूरी टीम में एक महिला अधिकारी उषा राडा को शामिल किया गया था. उषा ऑपरेशन यूनिट के अलावा साइबर की सभी तरह की जानकारी रखती थी.  हर जानकारी को कोड डिकोड करने की भी उनकी काबियलियत थी. क्राइम ब्रान्च को जो लीड मिल रही थी, उसका वैरिफिकेशन करना उषा राधा की जिम्मेदारी थी. 

Advertisement

तरुण भरोट 
अपनी नौकरी का ज्यादातर टाइम उन्होंने ने क्राइम ब्रान्च में बिताया. बहादूर और किसी भी हालात में पीछे नहीं हटने वाले अधिकारी के तौर पर तरुण को जाना जाता है.  

वीआर टोलिया 
अपने इन्वेस्टिगेशन के लिए टोलिया जाने जाते हैं. आरोपी से पूछताछ करने में उन्हें मास्टर माना जाता है.  

दिलीप ठाकोर 
वैसे तो महेसाणा पुलिस में सब कॉन्स्टेबल के तौर पर काम करते थे. डीजल मैकेनिक तक की पढाई करने वाले दिलीप ठाकोर को साइबर में इंस्ट्रेस्ट था. इसलिए उन्हें साइबर एक्सपर्ट का काम सौंपा गया था. उनकी मदद के लिए जीतू यादव और जुगल पुरोहित ने टेक्निकल इन्वेस्टिगेशन में काफी मदद की. जिसके बाद दिलीप ठाकोर को सब इन्स्पेक्टर के तौर पर प्रमोशन दिया गया. 

अहमदाबाद में हुए ब्लास्ट के बाद क्राइम ब्रान्च को जो मेल मिला था, उसे सबसे पहले ट्रैक करना शुरू किया गया. क्राइम ब्रान्च की टेक्निकल टीम के जरिए ट्रैक करने पर पता चला था कि मेल अलग-अलग तीन जगहों से किया गया था. ये तीनों मेल मुंबई से किया गया था. इस जानकारी के आधार पर वीआर टोलिया और उषा राधा मुबई जांच के लिए पहुंचे. मुंबई में पहला मेल नवी मुबई के सानपाडा से किया गया था, जबकि दूसरा मेल खालसा कॉलेज मांटुगा और तीसरा मेल चेम्बुर की एक प्राइवेट कंपनी से किया गया था. हालांकि अहमदाबाद क्राइम ब्रान्च की टीम को यहां पहुंचने के बाद नाकामयाबी हासिल हुई क्योंकि इंडियन मुजाहिद्दीन ने ये तीन अकाउंट को हैक कर मेल किए थे. 

Advertisement

इसके बाद लाखों फोन कॉल में से संदिग्ध फोन नंबर खोजने का काम शुरू किया गया. इस दौरान महेसाणा के कॉन्स्टेबल दिलीप ठाकोर को मोबाइल ट्रेकिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई. आइपीएस हिमांशु शुक्ला के नेतृत्व में अहमदाबाद शहर के पूरे मोबइल डाटा से संदिग्ध नंबर को ट्रैक किया गया. 

ऐसे मिली क्राइम ब्रांच को महत्वपूर्ण लीड

क्राइम ब्रान्च को एक महत्वपूर्ण लीड मिली. अपनी ह्यूमन इन्टेलिजेंस से क्राइम के जॉइंट पुलिस कमिश्नर अभय चुडासमा को भरुच के कॉन्स्टेबल याकूब अली के जरिए धमाके में इस्तेमाल की गई कार के बारे में जानकारी मिली और फिर मुबई से अहमदाबाद तक लाने वालों के नंबर भी मिले.  

अहमदाबाद में ब्लास्ट हो चुके थे, जबकि सूरत में बम बरामद हो रहे थे. बम की सर्किट फेल होने की वजह से ज्यादातर बम ब्लास्ट नहीं हुए थे. सूरत पुलिस के जरिए भी इस ब्लास्ट केस के आरोपियों की जांच की जा रही थी. वहीं वडोदरा पुलिस कमिश्नर और भरुच एसपी को भी आशंका थी कि उनके जिले से भी ब्लास्ट के तार जुड़े हो सकते हैं. वैसे में क्राइम ब्रान्च को लगा कि अगर इतनी एजेंसी एक साथ जांच करेगी तो आंतकी भाग जाने में कामयाब हो सकते हैं. वैसे में उस वक्त के गृहमंत्री अमित शाह को बताया गया और अमित शाह ने इस मामले में दूसरी एजेंसी की रुकने और अहमदाबाद क्राइम ब्रान्च को जांच के आदेश दिए। 

Advertisement

ब्लास्ट के दो ही हफ्ते में याकूब अली और दिलीप ठाकोर की वजह से क्राइम ब्रान्च के पास लीड आ चुकी थी. दूसरे राज्यों से टीम को वापस बुलाया गया क्योंकि क्राइम ब्रान्च ने जिन लोगों के हिरासत में लिया था, उनके पास से कई अहम जानकारी मिली थी. हालांकि क्राइम ब्रान्च इसके आका तक पहुंचना चाहती थी, जिस वजह से कहीं पर भी ये जानकारी नहीं दी गयी कि इस मामले में किसी की गिरफ्तारी हुई है. इस दौरान क्राइम ब्रान्च की टीम हिमांशु शुक्ला और मयूर चावडा को लखनऊ भेजा गया. जहां अबुबशर को गिरफ्तार किया गया. अबु बशर को लगता था कि उस तक पुलिस कभी नहीं पहुंच सकती हैं, लेकिन अबु बशर की गिरफ्तारी ब्लास्ट केस में एक बडी कामयाबी थी. 

अबु बशर की गिरफ्तारी से इंडियन मुज्जाहिद्दीन का मॉड्यूल पकड़ा गया

पिछले 6 साल से देश के अलग-अलग हिस्से में ब्लास्ट करने वाले और पुलिस की चंगुल में ना फंसने वाले अबु बशर की गिरफ्तारी से इंडियन मुज्जाहिद्दीन का मॉड्यूल पकडा गया था. अबु बशर ने कुछ वक्त तो अपना मुंह नहीं खोला लेकिन धीरे-धीरे उसने क्राइम ब्रान्च के सामने अपने इस आंतकी साजिश में शामिल लोगों के नाम देना शुरू किए और क्राइम ब्रान्च एक के बाद एक की गिरफ्तारी करने लगी। गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, केरल, कर्नाटक से आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. क्राइम ब्रान्च ने 78 लोगों को गिरफ्तार किया. अब भी ब्लास्ट मामले में 20 लोगों की गिरफ्तारी होनी बाकी है. 

Advertisement

ये पूरी जांच और गिरफ्तारी की सिलसिला 9 महीने तक चला. इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए और ऑपरेशन में किसी भी तरह की कोई बाधा ना आए इसलिए आशीष भाटिया ने सरकार से जरूरत पड़ने पर चार्टड प्लेन का इस्तेमाल करने के लिए भी कन्विन्स किया और अबु बशर की गिरफ्तारी के बाद उसे लखनऊ से अहमदाबाद चार्टड प्लेन के जरिए लाया गया था. तब तक इस मामले में किसी को भी कोई भनक तक नहीं लगी थी.  

 

Advertisement
Advertisement