तारीख- 26 जुलाई 2008. दिन- शनिवार. समय- शाम के 6 बजकर 45 मिनट और जगह- अहमदाबाद.
अहमदाबाद के मणिनगर में 6 बजकर 45 मिनट पर बम धमाका हुआ. मणिनगर वो विधानसभा क्षेत्र था जहां से तब के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी विधायक थे. मणिनगर में तीन जगहों पर बम धमाके हुए थे. मणिनगर से दो जिंदा बम और बरामद किए गए थे.
इस धमाके के 70 मिनट बाद तक अहमदाबाद में अलग-अलग जगहों पर 20 और बम धमाके हुए. दो बम धमाके तो सिविल अस्पताल और एलजी अस्पताल में भी हुए. इन अस्पतालों में धमाकों में घायल हुए लोग भर्ती हुए थे.
उस दिन इन बम धमाकों में 56 लोग मारे गए थे. 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. पुलिस का दावा था कि इन धमाकों में इंडियन मुजाहिदीन (IM) और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े लोग शामिल थे.
साइकिल पर टिफिन रखकर किए थे ब्लास्ट
13 मई 2008 को राजस्थान के जयपुर में बम धमाके हुए. आतंकियों ने टिफिन में बम रखकर उसे साइकिल पर रख दिया था. यही तरीका अहमदाबाद में बम धमाकों के लिए भी अपनाया गया था. भीड़-भाड़ और बाजार वाले इलाकों में साइकिल और टिफिन में बम रखे गए थे.
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धमाकों से 5 मिनट पहले ईमेल भेजा
कुछ न्यूज एजेंसियों ने दावा किया था कि धमाकों से 5 मिनट पहले उनके पास एक धमकी भरा ईमेल आया था. 14 पेज के इस ईमेल का सब्जेक्ट था 'गुजरात का बदला लेने के लिए 5 मिनट इंतजार.' ये ईमेल इंडियन मुजाहिदीन की ओर से भेजा गया था. इस ईमेल में लिखा था, 'अल्लाह के नाम पर इंडियन मुजाहिदिन एक बार और हमला कर रहा है… जो चाहो कर लो. रोक सकते हो तो रोक लो.'
इसके बाद माना गया कि इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों ने 2002 में गोधरा कांड का बदला लेने के लिए इन धमाकों की साजिश रची और इसे अंजाम दिया.
13 साल तक चलती रही सुनवाई
- अहदाबाद में बम धमाकों के कुछ दिन बाद सूरत से भी कई बम बरामद किए गए थे. इसके बाद अहमदाबाद में 20 और सूरत में 15 एफआईआर दर्ज की गई. बाद में इन सभी एफआईआर को एक कर दिया गया और एक बड़ा केस बना दिया गया.
- अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस की सुनवाई दिसंबर 2009 से शुरू हुई. तब से ही अहमदाबाद की स्पेशल कोर्ट में 13 साल से लगातार डे-टू-डे बेसिस पर इसकी सुनवाई चल रही थी. लॉकडाउन में भी इस मामले की सुनवाई चलती रही.
- इस मामले में अदालत ने 1,163 गवाहों के बयान दर्ज किए थे. पुलिस और कानूनी एजेंसियों ने 6 हजार से ज्यादा सबूत पेश किए थे.
- इस मामले में कुल 78 आरोपी थे. एक आरोपी बाद में सरकारी गवाह बन गया. इस कारण कुल 77 आरोपी बन गए हैं. अभी भी 8 से 9 आरोपी फरार हैं.
- सितंबर 2021 में इस मामले की सुनवाई पूरी हो गई थी. 1 फरवरी 2022 को इसका फैसला आना था. लेकिन जज एआर पटेल के कोरोना संक्रमित होने के कारण फैसला टल गया.