गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड के 24 दोषियों की सजा पर फैसला सोमवार को भी टल गया. अहमदाबाद की विशेष अदालत अब 17 जून को सजा का ऐलान करेगी. कोर्ट ने इस मामले में 36 लोगों को बरी किया था.
पिछली दो सुनवाइयों में सजा सुनाने से पहले कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों की अंतिम दलीलें सुनी थीं, जिसमें सरकारी वकील और पीड़ितों के वकील ने दोषियों को ज्यादा से ज्यादा सजा सुनाने की अपील की थी, जबकि दोषियों के वकील ने कम से कम सजा देने की मांग की.
एक और दोषी ने किया सरेंडर
गुलबर्ग सोसाइटी मामले के एक आरोपी कैलाश धोबी ने सोमवार को सरेंडर कर दिया. वह इस साल जनवरी से फरार चल रहा था. कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया है.
2009 में शुरू हुई थी सुनवाई
बता दें कि पहले 6 जून को सजा का ऐलान होना था लेकिन कोर्ट ने जिरह पूरी न हो पाने की वजह से बाद में फैसला सुनाने के लिए 9 जून की तारीख तय की थी. हालांकि उस दिन भी सजा का ऐलान नहीं किया जा सका.
मामले की सुनवाई साल 2009 में शुरू हुई थी, उस समय 66 आरोपी थे. इनमें से चार की पहले ही मौत हो चुकी है. कोर्ट ने जिन 36 आरोपियों को बरी किया उनमें बीजेपी का पार्षद भी शामिल है.
दंगे में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने कहा कि वह इस दिन का लंबे समय से इंतजार कर रही थीं. उन्होंने खुशी जताई और कहा कि सभी अपराधियों को सजा मिलनी चाहिए. एहसान जाफरी के बेटे तनवीर जाफरी ने भी कहा कि उन्हें कोर्ट से बहुत उम्मीदें हैं.
क्या है गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार?
गोधरा कांड के अगले दिन यानी 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में दंगा हुआ था. इस दंगे में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की भी मौत हुई थी. हमले में जाफरी सहित 69 लोगों की जान
गई थी.