प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद अब पूर्व आईपीएस अफसर संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के छात्रों से मुखातिब होंगी. संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट का कहना है कि एएमयू प्रशासन ने उनसे संपर्क किया था. 25 दिसंबर की शाम 6 बजे वो छात्रों से वर्चुअल माध्यम से जुड़ेंगी.
गौरतलब है कि पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने 2002 के गुजरात दंगे में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की कथित भूमिका को लेकर गंभीर आरोप लगाया था. श्वेता भट्ट 25 दिसंबर को सर सैय्यद नॉर्थ होल में छात्रों को संबोधित करेंगी. ये संबोधन ऑनलाइन रहेगा. वो छात्रों के सवाल का भी जवाब देंगी.
संजीव भट्ट ने दिसम्बर 1999 से सितंबर 2002 तक गांधीनगर स्थित स्टेट इंटेलिजेंस ब्यूरो में बतौर डिप्टी कमिश्नर ऑफ इंटेलिजेंस के तौर पर काम किया था. उन पर गुजरात की आंतरिक, सीमा, तटीय और अहम प्रतिष्ठानों की सुरक्षा का जिम्मा था. इसके अलावा गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सिक्योरिटी भी भट्ट के ही हाथों में थी.
इसी दौरान फरवरी-मार्च 2002 के दौरान गोधरा में ट्रेन जला दी गई, जिसके बाद सांप्रदायिक दंगे भड़क गए. बताया जाता है कि इस घटना में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए. इस पर संजीव भट्ट ने एक एफिडेविट देकर तत्कालीन मोदी सरकार पर दंगाइयों को ढील देने समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे.
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इस पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को सौंपी तो दंगों के 9 साल बाद 14 अप्रैल 2011 को भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और यही आरोप लगाए. उन्होंने गुजरात दंगों के लिए बनाई गई एसआईटी पर भी पक्षपात के आरोप लगाए. 13 अक्टूबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी पर भट्ट के आरोपों को बेबुनियाद करार दिया.
इससे पहले ही जून 2011 में गुजरात सरकार ने ड्यूटी से गैरहाजिर रहने, ड्यूटी पर न रहते हुए भी आधिकारिक कार का इस्तेमाल करने और जांच कमिटी के सामने पेश न होने को लेकर भट्ट को सस्पेंड कर दिया. संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट का कहना है कि 26 महीनों पहले उनके पति संजीव भट्ट को 1990 के एक केस में सजा सुनाई गई है, जिसमें बेल के दायर की गई उनकी याचिका अब तक सुनवाई के लिए भी नहीं आयी है.