scorecardresearch
 

आनंदीबेन पटेल हो सकती हैं गुजरात की मुख्यमंत्री, 21 को हो सकता है ऐलान

नरेंद्र मोदी के बाद आनंदीबेन पटेल गुजरात की मुख्यमंत्री हो सकती हैं. सूत्रों के मुताबिक, भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 मई को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है. उसी दिन वह गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे.

Advertisement
X
AnandiBen Patel
AnandiBen Patel

नरेंद्र मोदी के बाद आनंदीबेन पटेल गुजरात की मुख्यमंत्री हो सकती हैं. सूत्रों के मुताबिक, भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 मई को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है. उसी दिन वह गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे.

Advertisement

बुधवार को विधानसभा में पहले नरेंद्र मोदी का सम्मान किया जाएगा. उसके बाद वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे. शाम को पार्टी के विधायक दल की बैठक होगी जिसमें नए नेता का चुनाव किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक, आनंदीबेन पटेल को चुने जाने की संभावना सबसे ज्यादा है.

रविवार को गुजरात बीजेपी प्रभारी ओम माथुर प्रदेश अध्यक्ष आरसी फाल्दू और दूसरे नेताओं से मिलने वाले हैं. थावरचंद गहलोत सोमवार को गुजरात पहुंचेंगे. ये दोनों नेता बीजेपी विधायकों से मिलेंगे और उनकी राय लेंगे. हालांकि खबर है कि मोदी पहले ही अपने उत्तराधिकारी के रूप में आनंदीबेन के नाम पर मुहर लगा चुके हैं.

कौन हैं आनंदीबेन?
71 साल की आनंदीबेन पटेल नरेंद्र मोदी की कैबिनेट की सबसे ताकतवर मंत्री मानी जाती हैं. अहमदाबाद के मोहिनीबा कन्या विद्यालय की पूर्व प्रधानाचार्य आनंदीबेन कड़े अनुशासन और कार्यकुशलता के लिए मशहूर रही हैं. मोदी 1988 से आनंदीबेन को जानते हैं, जब वे बीजेपी में शामिल हुई थीं और अकाल पीड़ितों के लिए न्याय मांगने के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. 1995 में शंकर सिंह वाघेला ने जब बगावत की थी, तो उस कठिन दौर में आनंदीबेन और मोदी ने साथ-साथ पार्टी के लिए काम किया था. उनकी छवि अब तक पूरी तरह बेदाग है और उनके पास अनुभव की भी कमी नहीं है. 1998 में कैबिनेट में आने के बाद से वे शिक्षा और महिला एवं बाल कल्याण जैसे मंत्रालयों का जिम्मा संभाल चुकी हैं.

Advertisement

1987 में वीरता पुरस्कार मिला था आनंदी को
गुजराती भाषा की बेहतरीन वक्ता आनंदीबेन विधानसभा में दमदार नेता के रूप में देखी जाती हैं और विपक्ष पर हमेशा भारी पड़ती हैं. उनकी सबसे बड़ी योग्यता यह है कि वे निडर और साहसी हैं. 1987 में एक छात्रा को डूबने से बचाने के लिए वे झील में कूद गई थीं, जिसके लिए उन्हें राज्य की ओर से वीरता पुरस्कार भी दिया गया था. पार्टी के सूत्रों के मुताबिक उनमें एक ही कमी है कि “वे हंसमुख नहीं हैं. और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ दोस्ताना व्यवहार नहीं रखती हैं.” लेकिन आनंदीबेन कहती हैं, “जो लोग नियमों का पालन करते हैं, उन्हें दोस्ताना व्यवहार वाला नहीं माना जाता है, खास तौर से उन लोगों की नजर में जो निजी फायदों के लिए आते हैं. मुझे मेरे कामों से आंकना चाहिए, चेहरे से नहीं.”

Advertisement
Advertisement