यौन शोषण के आरोपों में जेल की हवा खा रहे आसाराम के पूर्व साधक और वैद्य अमृत प्रजापति ने गुजरात सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर प्रजापति ने दावा किया है कि गुजरात सरकार ने प्रदेश में आसाराम को कानून से भी बड़ा बना दिया है.
अपने पत्र में प्रजापति ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वो आसाराम और उसके साधकों को सुरक्षा प्रदान कर रही है. कई सालों तक आसाराम के आश्रम में बतौर आयुर्वेदिक वैद्य काम करने वाले और एक समय आसाराम के साधक रह चुके प्रजापति ने आरोप लगाया कि आसाराम के खिलाफ प्रदेश में दर्ज मामलों की गुजरात सरकार ने निष्पक्ष जांच नहीं कराई है.
अपने इस पत्र में प्रजापति ने नरेंद्र मोदी के सामने ये सवाल रखे हैं-
आसारम का परिवार पाकिस्तान से आया है, तो वो किसान नहीं है. ऐसे में गुजरात में सभी आश्रमों की जमीनें सरकार के पास होनी चाहिए या नहीं?
हिम्मतनगर के पास आश्रम को सरकारी जमीन गौशाला के लिए दी गई, लेकिन वहां पर अब तक कोई गौशाला क्यों नहीं बनी है?
गुरुकुल में अभ्यास करने वाले दिपेश अभिषेक की संदिग्ध हालात में हुई मौत के बाद उसके माता-पिता ने नारायण साईं पर हत्या का शक जताया था, तो सरकार ने नारायण के लाई डिटेक्शन टेस्ट का आदेश क्यों नहीं दिया?
राजू चंडोक की एफआईआर में सीधा आसाराम पर हत्या का आरोप लगाया गया है, इस मामले में कोई जांच क्यों नहीं कराई गई?
प्रजापति का कहना है, 'लेटर में कहा गया है कि आसाराम आश्रम और आसाराम के खिलाफ कार्यवाही हो, हमें लग रहा है कि गुजरात सरकार ने आसारम को कानून से बड़ा बना दिया है. इसलिए उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती है.' प्रजापति वही वैद्य हैं, जिन्होंने ये दावा किया है कि आसाराम अफीम के आदी हैं, वो रोज अफीम का सेवन करते हैं, यहां तक कि वो अपने सेक्स के पावर को बढ़ाने के लिए कई दवाइयों का भी सेवन करते हैं. दिलचस्प बात तो ये है कि गुजरात में 2008 में गुरुकुल में हुई दो बच्चों की मौत पर रिटायर जस्टिस डी.के. त्रिवेदी कमीशन ने अपनी जांच रिपोर्ट गुजरात सरकार को सौंप दी है, लेकिन आज तक ये रिपोर्ट न ही अभिभावकों को दी गई और न ही सार्वजनिक की गई.