अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने एक बड़ा साइबर क्राइम नेटवर्क पकड़ा है, जिसमें तीन साइबर ठगों ने ई-कॉमर्स वेबसाइट और ऑनलाइन कैसीनो जैसी साइटों को हैक करके लाखों रुपये की प्रोडक्ट्स की खरीदारी की और उन प्रोडक्ट्स को बेहद कम कीमत पर प्राप्त किया. इन ठगों ने इस घोटाले के जरिए 7 करोड़ रुपये का नुकसान मर्चेंट कंपनियों को पहुंचाया है.
क्राइम ब्रांच के डीसीपी अजीत राजियन ने बताया कि दो दिन पहले ऑनलाइन कैसीनो और सट्टा बैटिंग से संबंधित गतिविधियों के बारे में जानकारी मिलने के बाद रेड की गई थी. पूछताछ में यह बात सामने आई कि तीनों आरोपियों ने डी-बगिंग सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल किया था, जो इंटरनेट पर फ्री में उपलब्ध था. इस सॉफ़्टवेयर के जरिए उन्होंने ई-कॉमर्स वेबसाइट और ऑनलाइन कैसीनो की साइटों को हैक किया और उनकी पेमेंट गेटवे प्रणाली में छेड़छाड़ की. इस छेड़छाड़ की वजह से इन ठगों ने बड़ी संख्या में प्रोडक्ट्स जैसे मोबाइल, ड्रोन, कंप्यूटर, लैपटॉप, राउटर, हार्डडिस्क, गोल्ड कॉइन और ज्वेलरी को बेहद कम कीमत पर खरीद लिया.
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इन्हें खरीदने के बाद ठग इन प्रोडक्ट्स को अपने मनमाफिक कीमत पर 80% की छूट के साथ बेचकर 100% मुनाफा कमा रहे थे. इस घोटाले के दौरान आरोपियों ने 125 से अधिक प्रोडक्ट्स की खरीदारी की, जिनकी कुल कीमत लगभग 7 करोड़ रुपये थी. इसके अलावा कुछ बैंकों के कर्मचारियों की संदिग्ध भूमिका भी सामने आई है, जिसके चलते उनकी भी पूछताछ की जा रही है.
आरोपियों की पहचान आदिल परमार, विजय वाघेला और नितेश उर्फ छोटू मड़ता के रूप में हुई है, जो अहमदाबाद से गिरफ्तार किए गए. आदिल परमार ने बीएससी आईटी की पढ़ाई की है, विजय वाघेला एमबीए कर रहा था और नितेश छोटू के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है. पुलिस ने उनके पास से 6 लाख रुपये की कीमत के मोबाइल, लैपटॉप, वाईफाई राउटर, हार्डडिस्क, गोल्ड कॉइन और ज्वेलरी सहित कई सामान बरामद किए हैं.
इन ठगों ने सर्च इंजन के माध्यम से टार्गेटेड ई-कॉमर्स और सट्टा बैटिंग वेबसाइट्स की पहचान की और वहां से क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी प्राप्त की. इसके बाद, डी-बगिंग सॉफ़्टवेयर की मदद से पेमेंट गेटवे में मूल्य परिवर्तन और डमी एड्रेस पर उत्पादों का ऑर्डर किया. इस प्रक्रिया के माध्यम से उन्होंने महंगे प्रोडक्ट्स को शून्य रुपये या बेहद कम कीमत पर हासिल किया.
एक उदाहरण के तौर पर आरोपियों ने 2.5 लाख रुपये मूल्य का एक ड्रोन 0 रुपये में खरीदा और उसे 1 लाख रुपये में बेचकर 100% मुनाफा कमाया. इसके अलावा, गोल्ड कॉइन और ज्वेलरी भी इन्हीं तकनीकों का इस्तेमाल करके प्राप्त की गई और डिलीवरी के बाद आरोपियों ने अपने मोबाइल नंबर बदल दिए ताकि ट्रैकिंग मुश्किल हो सके. इस मामले में ई-कॉमर्स कंपनियां और ऑनलाइन कैसीनो वेबसाइट्स को खासा नुकसान हुआ है और अब क्राइम ब्रांच और अन्य एजेंसियां मामले की गहराई से जांच कर रही हैं.